यह ख़बर 10 अप्रैल, 2012 को प्रकाशित हुई थी

नक्सली नेता की पत्नी रिहा, बंधक संकट बरकरार

खास बातें

  • ओडिशा में एक त्वरित अदालत द्वारा बरी किए जाने के बाद नक्सली नेता सब्यसाची पांडा की पत्नी सुभाश्री दास को तो मंगलवार को जेल से रिहा कर दिया गया, लेकिन इटली का एक नागरिक और ओडिशा का एक विधायक, दोनों अभी भी नक्सलियों के चंगुल में हैं।
भुवनेश्वर:

ओडिशा में एक त्वरित अदालत द्वारा बरी किए जाने के बाद नक्सली नेता सब्यसाची पांडा की पत्नी सुभाश्री दास को तो मंगलवार को जेल से रिहा कर दिया गया, लेकिन इटली का एक नागरिक और ओडिशा का एक विधायक, दोनों अभी भी नक्सलियों के चंगुल में हैं।

जिस दास को मंगलवार को जेल से रिहा किया गया है, उनकी रिहाई की मांग इटली के एक बंधक की रिहाई के एवज में नक्सलियों ने की थी। दूसरी ओर नक्सलियों द्वारा अपनी मांगें पूरी करने के लिए सरकार को दी गई समय सीमा मंगलवार शाम समाप्त हो रही है।

अधिकारियों ने कहा कि रायगाडा जिले के गुनपुर में स्थित त्वरित अदालत ने दास को 2003 में हुई एक मुठभेड़ के मामले में सबूत के अभाव में बरी कर दिया। दास पर कुटिंगागुडा इलाके में हुई इस एक मुठभेड़ में शामिल होने का आरोप था।

जेल से बाहर आने के बाद दास ने हालांकि कहा कि उनकी रिहाई में सरकार की कोई भूमिका नहीं रही है। दास ने संवाददाताओं से कहा, "मैं प्रारम्भ से ही कहती आ रही हूं कि मैं बेगुनाह हूं। अब मेरी बात साबित हो गई है।"

गरीबों और किसानों की सेवा करने के लिए अपने पति की प्रशंसा करते हुए दास ने कहा कि पांडा भले ही उनसे दूर है, लेकिन वह उनके लिए एक मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक है। दास को यह भी आशंका है कि कहीं पुलिस उन्हें दोबारा न गिरफ्तार कर ले।

दास को मिली के नाम से भी जाना जाता है। वह जेल में कैद उन कई नक्सलियों में शामिल थीं, जिनकी रिहाई की मांग इटली के अगवा टूर ऑपरेटर बोसुस्को पाओलो की रिहाई के एवज में की गई है।

पाओलो 14 मार्च से ही नक्सलियों के कब्जे में है।

इस बारे में कोई आधिकारिक बयान फिलहाल नहीं आया है कि क्या सरकार ने दास की रिहाई सुनिश्चित कराई है। सब्यसाची पांडा ने भी अपनी पत्नी की रिहाई पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की है।

यद्यपि कुछ लोगों का मानना है कि दास की रिहाई से इटली के नागरिक की रिहाई का रास्ता खुल सकता है, लेकिन बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक झीना हिकाका की रिहाई अभी भी अधर में अटकी हुई है। वह 24 मार्च से ही नक्सलियों के एक दूसरे गुट के कब्जे में हैं।

पाओलो को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की ओडिशा इकाई ने कंधमाल जिले से अगवा किया था, तो हिकाका को आंध्र-ओडिशा सीमा विशेष जोनल कमेटी ने कोरापुट जिले से अगवा किया था।

दोनों नक्सली गुट कम या अधिक एक जैसी मांगे ही कर रहे हैं। इसमें जनजातीय इलाकों में पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, नक्सलियों के खिलाफ अभियान पर रोक, और कई कैदियों की रिहाई जैसी मांगे शामिल हैं।

राज्य सरकार ने कुछ दिनों पूर्व हिकाका की मुक्त करने के लिए आठ नक्सलियों सहित 23 कैदियों की रिहाई सुनिश्चित कराने और इटली के नागरिक को मुक्त करने के लिए चार अन्य कैदियों की रिहाई सुनिश्चित कराने की घोषणा की थी।

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इस बीच विधायक और इटली के नागरिक के अपहर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार दोनों बंधकों की रिहाई के लिए क्रमश: पांच व तीन अतिरिक्त कैदियों को रिहा करे।