सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या इस साल मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET से छूट दी जा सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या इस साल मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET से छूट दी जा सकती है

नई दिल्ली:

देशभर के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में मेडिकल दाखिलों में नीट (NEET) के जरिए दाखिला देने के आदेश के बाद कई राज्यों ने इसका विरोध किया है। आज सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या इस बार के लिए राज्यों के टेस्ट को मंजूरी दी जा सकती है? इस पर सॉलिसिटर जनरल (SG) शुक्रवार को सरकार से बात कर सुप्रीम कोर्ट बताएंगे।
 
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया

  • सुप्रीम कोर्ट ने SG से कहा, प्राइवेट कालेजों के टेस्ट को राहत नहीं मिलेगी।
  • क्या हम 24 जुलाई को सभी को फिर से NEET में टेस्ट के लिए बुला सकते हैं। चाहे उसने पहला NEET टेस्ट दिया हो या नहीं
  • SG ने कहा कि इससे 30 लाख छात्र हो जाएंगे जो मुश्किल होगा।

इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए कई राज्य वकीलों के जरिेए सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे हैं।
गुजरात का कहना है -
  • गुजरात समेत कई राज्यों ने मीडिया की रिपोर्ट के हवाले से सुप्रीम कोर्ट में कहा, ये स्पष्ट नहीं है कि राज्य अपना टेस्ट करा सकते हैं या नहीं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पहले की NEET पर आदेश जारी कर चुके हैं, NEET हमारे आदेश के बाद ऑपरेशनल है। हमने कभी ये नहीं कहा कि ये करो या ये करो। फिलहाल स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं।
  • गुजरात ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि ज्यादातर छात्र गुजराती में ही राज्य में मेडिकल टेस्ट देते हैं।
  • अब अचानक उन्हें अंग्रेजी में टेस्ट देने के लिए कहा जाएगा तो ये नाइंसाफी होगी।
  • गुजरात की ओर से गुजराती पेपर सुप्रीम कोर्ट में दिया गया और कहा गया कि कोर्ट के आदेश के बाद ऐसी दिक्कत गुजराती छात्रों को भी आएगी अगर उनके सामने अंग्रेजी में पेपर आएगा।
  • गुजरात में सेलेबस 30 फीसदी अलग है।
  • अंग्रेजी टर्मनालॉजी समझने में छात्रों को कम से कम एक साल लगेगा।
  • गुजरात में 68 हजार छात्रों में से करीब 60 हजार गुजराती में टेस्ट देंगे जबकि करीब 600 हिंदी में देते हैं।

जम्मू कश्मीर की ओर से कहा गया
  • जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस है और बिना विधानसभा में लाए हुए NEET लागू नहीं किया जा सकता।
  • इसके अलावा राज्य में स्थानीय छात्रों को आरक्षण है, इससे वो भी प्रभावित होगा।

आंध्र प्रदेश की ओर से कहा गया
- राष्ट्रपति नोट के अलावा 2014 के एक्ट में 10 साल तक पुरानी स्थिति चलाने का प्रावधान है। अब NEET को लागू कैसे किया जा सकता है।

महाराष्ट्र ने कहा
  • NEET से राज्य के छात्रों खास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को ज्यादा दिक्कत होगी।
  • राज्य में 4.09 लाख राज्य के CET परीक्षा आज दे चुके हैं
  • ये एक्ट 2015 में पास हुआ था और उसी के तहत टेस्ट हुआ
  • राज्य में सिलेबस में बहुत फर्क है।
  • यहां तक कि 1 मई के NEET के पेपर को टीचर्स को दिखाया गया
  • पता चला कि 180 सवालों में से 35 सवाल स्टेट बोर्ड के सिलेबस से बाहर थे।
  • हमारे लिए NEET 2018 में लागू किया जाए ताकि हम सिलेबस में बदलाव कर लें।
  • इस बार 1 मई के टेस्ट को पुराने तरीके से ही रखा जाए और उसे CBSE मेडिकल माना जाए जिससे 15 फीसदी सीट भरी जाएं
  • राज्य ने कहा कि हमारे यहां मराठी और उर्दू में भी टेस्ट होता है, ग्रामीण छात्रों को ज्यादा दिक्कत होगी।
बता दें कि 5 जजों की संविधान पीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए संविधान द्वारा दिए गए आर्टिकल 142 का इस्तेमाल कर न सिर्फ पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढा कमेटी गठन किया है, बल्कि कहा है कि मेडिकल दाखिले की प्रक्रिया सरकार की देखरेख में ही होनी चाहिए।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com