भूकंप से बेहाल नेपाल की मदद को भारत ने भेजे 13 विमान, अब तक 1300 भारतीयों को निकाला गया


नई दिल्ली : भूकंप प्रभावित नेपाल में राहत और बचाव अभियान तेज करते हुए भारत ने आज दो दर्जन से ज्यादा विमानों और हेलीकॉप्टरों सहित करीब 1,000 प्रशिक्षित कर्मचारियों को सेवा में लगाया है। भारत का कहना है कि हिमालयी राष्ट्र में स्थित 'बहुत बहुत गंभीर है।'

भूकंप के बाद से वहां फंसे पर्यटकों को जल्दी निकालने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.. जैसे विदेशी नागरिकों को सद्भावना वीजा जारी किया जा रहा है और उन्हें सड़क मार्ग से निकालने के लिए बसों और एम्बुलेंस की सेवा ली जा रही है। कल से करीब 1,300 लोगों को हवाई मार्ग से निकाला गया है।

राजधानी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा कि नेपाल में स्थिति और खराब हो सकती है, क्योंकि अगले 48 घंटों में बहुत भारी बारिश होने की आशंका है। इससे बचाव कार्य में बाधा आएगी।

गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी के नेतृत्व में गठित एक अंतर-मंत्रालीय टीम जल्दी ही नेपाल रवाना होगी और वहां राहत तथा बचाव कार्यों का समन्वय करेगी।

जयशंकर ने कहा, 'मैं रेखांकित करता हूं कि नेपाल में जल्दी से जल्दी राहत और बचाव कार्य हमारा प्राथमिक मिशन है। नेपाल में स्थिति बहुत बहुत गंभीर है।'

संवाददाता सम्मेलन में गृहसचिव एल. सी. गोयल, रक्षा सचिव आर. के. माथुर, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार के प्रमुख आर. के. जैन और भारत मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख एल. एस. राठौड़ भी मौजूद थे।

गृह सचिव में बताया कि भूकंप और उसके बाद आए झटकों से अभी तक भारत में 62 लोगों की मौत हुई है, जबकि 259 लोग घायल हुए हैं।

भारत ने अभी तक 13 सैन्य विमान, एयर इंडिया और जेट एयरवेज के तीन असैन्य विमान, छह एमआई-17 हेलीकॉप्टर, दो एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर बचाव कार्य में लगाए हैं, जबकि दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर सेवा देने के लिए तैयार हैं। अभी तक भारत ने 10 टन कंबल, 50 टन पेयजल, 22 टन भोजन और दो टन दवाएं काठमांडू भेजी हैं। सेना के तीन फील्ड अस्पताल, इंजीनियरिंग टास्क फोर्स और असैन्य डॉक्टरों की मेडिकल यूनिट नेपाल भेजी गई है।

जयशंकर ने कहा कि भूकंप के बाद आज आए झटकों से बचाव और राहत कार्य प्रभावित हुआ है, क्योंकि काठमांडू हवाईअड्डा कई घंटे तक बंद रहा। हालांकि बाद में हवाईअड्डा खुल गया।

विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया कि सरकार ने नेपाल में फंसे हुए भारतीयों को निकालने के लिए 35 बसें लगाई हैं। इन्हें सुनौली और रक्सौल के रास्ते भारत-नेपाल सीमा से निकाला जाएगा। गृहसचिव ने कहा, 'हम सड़क मार्ग से बड़े पैमाने पर लोगों को निकाल रहे हैं।'

रक्षा सचिव ने कहा कि भूकंप केंद्र के निकट मकानों को क्षति पहुंची है। सैन्य हेलीकॉप्टर के हवाई सर्वेक्षण से यह सूचना मिली है। हालांकि उन्होंने कहा कि गांव के लोगों द्वारा गृहनिर्माण में हल्की सामग्री प्रयोग करने के कारण भूकंप के केंद्र के पास ज्यादा लोगों के हताहत होने की आशंका नहीं है।

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अधिकारियों ने फंसे हुए हजारों लोगों से धर्य रखने का आग्रह करते हुए उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत विदेशी नागरिकों सहित जितने लोगों को संभव हो वहां से निकालेगा।