यह ख़बर 20 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

एनसीटीसी विरोधियों ने ही बचाई सरकार की साख

खास बातें

  • नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) का विरोध करने वाले दल ही इस मुद्दे पर मंगलवार को राज्यसभा में सरकार के संकट मोचक बन गए।
नई दिल्ली:

नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) का विरोध करने वाले दल ही इस मुद्दे पर मंगलवार को राज्यसभा में सरकार के संकट मोचक बन गए। समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष द्वारा एनसीटीसी पर पेश संशोधन प्रस्ताव पर सरकार की साख बचा ली।

जहां सपा व बसपा के सदस्यों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया, वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने मत विभाजन के दौरान सदन से अनुपस्थित रहकर सरकार का साथ दिया।

संशोधन प्रस्ताव, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित अन्य विपक्षी दलों ने पेश किया था। जबकि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के सम्बोधन पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए राज्यसभा में सदस्यों को आश्वस्त किया था कि एनसीटीसी की स्थापना पर कोई सहमति बनाई जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि एनसीटीसी पर मुख्यमंत्रियों से रायशुमारी की जाएगी।

मनमोहन सिंह ने कहा कि एनसीटीसी से संघीय ढांचे को कोई नुकसान नहीं होगा, जैसा कि इसके कुछ विरोधियों को आशंका है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "ऐसा कुछ नहीं किया जाएगा, जिससे संविधान के संघीय ढांचे का अतिक्रमण हो।" सिंह ने ठीक यही बात सोमवार को लोकसभा में भी कही थी।

प्रधानमंत्री ने 16 अप्रैल को प्रस्तावित मुख्यमंत्रियों की बैठक का जिक्र करते हुए कहा, "मैं समझता हूं कि एनसीटीसी का विचार और इसके काम करने का तरीका, दो अलग मुद्दे हैं। एनसीटीसी की कार्यपद्धति को लेकर मतभेद हो सकते हैं। लेकिन मुझे भरोसा है कि बातचीत और राय-मशविरे के जरिए मतभेदों को दूर किया जा सकता है।"

प्रधानमंत्री ने सदन को यह भी सूचित किया कि मुख्यमंत्रियों की एक बैठक 16 अप्रैल को होने वाली है, और उस दौरान एनसीटीसी पर उनके विचारों पर रायशुमारी की जाएगी।

लेकिन प्रधानमंत्री के जवाब के ठीक बाद विपक्षी सदस्य खड़े हो गए और उनसे यह आश्वासन मांगने लगे कि सरकार मुख्यमंत्रियों की सहमति के बाद ही एनसीटीसी पर आगे बढ़ेगी।

भाजपा और वाम दलों के नेताओं ने संकेत दिया कि वे राष्ट्रपति के भाषण पर अपने संशोधन प्रस्ताव पर जोर नहीं देंगे, बशर्ते कि प्रधानमंत्री एक आश्वासन दे दें।

सरकार द्वारा आश्वासन के बावजूद विपक्षी दलों द्वारा संशोधन वापस न लेने पर उपसभापति के. रहमान खान ने मतविभाजन का निर्देश दिया। सरकार कुछ चिंताजनक क्षण से गुजर ही रही थी कि खान ने घोषणा की कि एनसीटीसी पर संशोधन के पक्ष में 82 और विरोध में 105 मत पड़े।

संशोधन प्रस्ताव गिरने के बाद भाजपा, वामदल और बीजू जनता दल के सांसद सरकार के रुख के विरोध में सदन से बाहर चले गए।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि ओडिशा में इटली के दो नागरिकों का अपहरण नक्सलवाद से देश की आंतरिक सुरक्षा के सामने पैदा चुनौती की एक गम्भीर चेतावनी है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "हाल में दो विदेशी नागरिकों का अपहरण, वामपंथी चरमवाद से हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए पैदा हुई चुनौती की एक गम्भीर चेतावनी है।"

ज्ञात हो कि बोसुस्को पाओलो और क्लाउडिओ कोलैंजेलो दो भारतीयों- संतोष मोहराना और कार्तिक परीदा के साथ 12 मार्च को चार दिवसीय यात्रा पर कंधमाल गए थे।

देश के आर्थिक हालात का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि यदि देश मौजूदा स्थिति से नहीं उबरा तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने सामने खड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक सहमति बनाने का आग्रह किया।

मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर आर्थिक सुधार हुआ है और 2011 में उन देशों की विकास दर 2010-11 की आधा रही है।

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राष्ट्रपति के सम्बोधन पर धन्यवाद प्रस्ताव लोकसभा में पहले ही मंजूर हो चुका था, और इसे राज्यसभा में भी मंजूरी मिल गई।