यह ख़बर 25 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

अन्ना के पास नहीं है वैज्ञानिक दृष्टिकोण : न्यायमूर्ति काटजू

खास बातें

  • भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्केंडेय काटजू ने शनिवार को कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव है जबकि भ्रष्टाचार की समस्या के हल के लिए यह आवश्यक है।
नई दिल्ली:

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्केंडेय काटजू ने शनिवार को कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव है जबकि भ्रष्टाचार की समस्या के हल के लिए यह आवश्यक है।

न्यायमूर्ति काटजू ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘अन्ना हजारे के इस आंदोलन के बारे में मैंने अबतक कुछ नहीं बोला है क्योंकि मीडिया मुझपर हमला करता जैसे कि न्यायमूर्ति काटजू कोई दुष्टात्मा है। मैं अन्ना हजारे का एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में आदर करता हूं और इसमें कहीं कोई विवाद नहीं है। लेकिन उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है? मुझे नहीं लगता कि उनका कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण है।’

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उन्होंने कहा, '‘आप ‘भारत माता की जय’ और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ चिल्लाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष नहीं कर सकते। चिल्लाने से क्या होगा। लोग यहां 10-15 दिनों तक चिल्लाते रहे और फिर अपने घर चले गए। देश में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार है और यही वजह है कि अन्ना हजारे को इतना समर्थन मिला।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अन्ना हजारे की सोच का तार्किक आधार क्या है। उचित सम्मान के साथ (मैं कहना चाहता हूं कि) मैं कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण ढूढ़ नहीं पाया। इन नारों से कुछ नहीं होगा। उसके लिए आपके पास वैज्ञानिक हल हो।’’