यह ख़बर 26 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

गोधरा मामला : मोदी को सर्वोच्च न्यायालय से राहत

खास बातें

  • सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बड़ी राहत देते हुए वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें मांग की गई थी कि न्यायालय नानावटी आयोग को निर्देश दे कि गोधरा कांड के बाद 2002 में हुए दंगों में कथित भूमिका पर वह मोदी को गवाही के लिए सम्मन भे
नई दिल्ली:

गोधरा दंगा मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बड़ी राहत देते हुए वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें मांग की गई थी कि न्यायालय नानावटी आयोग को निर्देश दे कि गोधरा कांड के बाद 2002 में हुए दंगों में कथित भूमिका पर वह मोदी को गवाही के लिए सम्मन भेजे।

न्यायमूर्ति डीके जैन और न्यायमूर्ति आर. दवे की सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस की मांग इस आधार पर खारिज कर दी कि न्यायालय, नानावटी आयोग को कोई निर्देश नहीं दे सकता, क्योंकि उसका गठन जांच आयोग अधिनियम के तहत किया गया है।

न्यायालय ने गोंसाल्वेस से कहा, "यह आयोग का काम है कि वह अपनी प्रक्रिया निर्धारित करे और तय करे कि उसे जांच के सम्बंध में पूछताछ के लिए किसे सम्मन करना चाहिए।"

न्यायालय ने कहा कि 'व्यक्तित्व के आधार पर मामलों पर विचार नहीं किया जा सकता। हम तैयार होने से पहले ही आयोग की रपट का आकलन कर रहे हैं।'

न्यायालय ने आगे कहा कि यदि न्यायालय जांच आयोग की कार्यप्रणाली पर हर स्तर पर हस्तक्षेप करना शुरू कर दे तो जांच कभी पूरी नहीं हो पाएगी।

न्यायालय ने यह बात अमरीश एन. पटेल की उस याचिका को खारिज करते हुए कही, जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसने नानावटी आयोग के आदेश को बरकरार रखा था। आयोग ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में कथित भूमिका पर मोदी और अन्य को पूछताछ के लिए सम्मन करने से इनकार कर दिया था।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

उल्लेखनीय है कि नानावटी आयोग का गठन 2002 में गुजरात दंगा मामले की जांच के लिए किया गया था। साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-6 में आग लगा दिए जाने से अयोध्या से लौट रहे 59 कार सेवकों के जिंदा जल जाने के बाद राज्य में साम्प्रदायिक दंगा भड़क उठा था।