यह ख़बर 08 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

न्यायालय कर रहा प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध का विचार

खास बातें

  • सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि मवेशियों और पर्यावरण के हितों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं।
नई दिल्ली:

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस बात पर विचार करेगा कि मवेशियों और पर्यावरण के हितों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। याचिका में पशुओं की स्थिति पर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया गया है, जो कथित रूप से अपने भोजन के साथ प्लास्टिक भी निगल रहे हैं।

याचिका करुणा सोसाइटी फॉर एनिमल एंड नेचर ने दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य सरकारों और प्लास्टिक निर्माताओं को नोटिस जारी किए।

न्यायालय ने सुझाव दिया कि या तो प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए या निर्माताओं को इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक को चुनकर उसका पुनर्चक्रण करना चाहिए।

याचिका में मांग की गई थी कि अदालत सरकार को निर्देश दे कि सभी नगरपालिकाओं और नगर निगमों में प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग, बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए और 'ओपेन गार्बेज डिस्पोजल सिस्टम' को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाए।

गैर सरकारी संगठन की याचिका में नगरपालिकाओं और नगर निगमों के लिए हर दरवाजे पर जाकर कूड़े का संग्रह करने के लिए निर्देश जारी किए जाने की भी मांग की गई।

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याचिका में मांग की गई कि नगर पालिका निकाय यह तय करे कि कूड़ा घरों का निर्माण और प्रबंधन ऐसा हो कि उसके आसपास पशु नहीं आ सकें।