यह ख़बर 05 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बाबरी मस्जिद गिराए जाने में थी नरसिंह राव की मौन सहमति : पुस्तक

खास बातें

  • एक और पुस्तक में आरोप लगाया गया है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने में पीवी नरसिंह राव की ‘मौन सहमति’ थी। किताब में दावा किया गया है कि जब कारसेवकों ने मस्जिद को गिराना शुरू किया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पूजा पर बैठे और वह मस्जिद के पूरी तरह से गिर जाने के बाद
नई दिल्ली:

एक और पुस्तक में आरोप लगाया गया है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने में पीवी नरसिंह राव की ‘मौन सहमति’ थी। किताब में दावा किया गया है कि जब कारसेवकों ने मस्जिद को गिराना शुरू किया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पूजा पर बैठे और वह मस्जिद के पूरी तरह से गिर जाने के बाद ही पूजा से उठे।
 
जानेमाने पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी पुस्तक ‘‘बियांड दि लाइंस’’ में छह दिसंबर 1992 की घटना का जिक्र किया है। रोली बुक्स इस पुस्तक का प्रकाशन कर रहा है। यह पुस्तक जल्द जारी की जाएगी।
 
नैयर ने लिखा है, ‘मेरी सूचना थी कि मस्जिद गिराए जाने में राव की मौन सहमति थी। जब कारसेवकों ने मस्जिद गिराना शुरू किया तो वह पूजा पर बैठ गए और जब आखिरी पत्थर भी हटा दिया गया तभी वह पूजा से उठे।’
 
किताब में एक अध्याय नरसिंह राव सरकार पर भी है। इसमें कहा गया है, ‘मधु लिमये (दिवंगत समाजवादी नेता) ने बाद में मुझे बताया था कि पूजा के दौरान राव के सहयोगी ने उनके कान में कहा कि मस्जिद गिरा दी गई है। इसके कुछ क्षण बाद ही पूजा समाप्त हो गई।’
 
दिवंगत नरसिंह राव के पुत्र पीपी रंगा राव ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे अविश्वसनीय और अपुष्ट करार दिया।
 
मधु लिमये के कथित दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रंगा राव ने कहा, ‘यह अविश्वसनीय और अपुष्ट है..। मेरे पिता ऐसा नहीं कर सकते थे। बाबरी मस्जिद गिराए जाने से वह काफी दुखी थे..। उन्होंने हम लोगों से कई बार कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।’
 
रंगा राव ने अफसोस जताया कि नैयर जैसे पत्रकार ऐसी बातें लिख सकते हैं। उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ के कारण उनके पिता के खिलाफ विषवमन किया जा रहा है जबकि वह अपना बचाव करने के लिए जीवित नहीं हैं।
 
नैयर ने लिखा है कि मस्जिद गिराए जाने के बाद जब दंगे भड़क गए तो राव ने कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को अपने घर पर बुलाया था। ‘वह दुखी मन से बता रहे थे कि किस प्रकार उनकी सरकार ने मस्जिद को बचाने के लिए हर प्रयास किया लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने विश्वासघात किया।’
 
यह पूछे जाने पर कि कल्याण सिंह सरकार को बख्रास्त कर दिए जाने के बाद जब शासन केंद्र के पास था तो रातोंरात वहां एक छोटा मंदिर कैसे बन गया, राव ने कहा कि उन्होंने सीआरपीएफ की एक टुकड़ी विमान से लखनऊ भेजने की कोशिश की लेकिन खराब मौसम के कारण विमान उतर नहीं सका।
 
नैयर ने लिखा है कि अयोध्या में केंद्रीय बलों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर भी राव कोई स्पष्टीकरण नहीं दे सके हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया कि मंदिर वहां लंबे समय तक नहीं रहेगा। उन्होंने लिखा है, ‘‘बाबरी मस्जिद गिराए जाने के लिए राव की सरकार को हमेशा जिम्मेदार ठहराया जाएगा। दिलचस्प बात है कि उन्हें ऐसी घटना की आशंका थी लेकिन उन्होंने इसे टालने के लिए वस्तुत: कोई कदम नहीं उठाया।’’ उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया थे। उनके बयानों से संकेत मिलता था कि मस्जिद की सुरक्षा का उनका कोई इरादा नहीं है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था और उनकी सरकार ने वचन दिया था कि वह ऐसा करेगी।
 
घटनाक्रम उस समय चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया जब हजारों कारसेवकों ने उस दिन मजिस्द का आखिरी पत्थर तक हटा दिया। उन्होंने लिखा है, ‘‘यह धर्मनिरपेक्षता की दिनदहाड़े हत्या थी।’’ नैयर के अनुसार कांग्रेस खेमे में खलबली थी लेकिन यह मस्जिद गिराए जाने को लेकर नहीं थी बल्कि इसका कारण आंतरिक कलह था। सोनिया गांधी नरसिंह राव को पसंद नहीं करती थीं खासकर जब राव ने कांग्रेस पार्टी और सरकार दोनों का नेतृत्व संभाल लिया।
 
कांग्रेस के कई नेताओं ने सोनिया से पार्टी का नेतृत्व संभालने का अनुरोध किया था। उन नेताओं का मानना था कि सिर्फ वही पार्टी में सर्वसम्मति बना सकती हैं। सोनिया को इस बात की चिंता थी कि सांप्रदायिक ताकतों का प्रतिनिधित्व कर रही भाजपा राजनीतिक लाभ हासिल कर रही है। नैयर ने लिखा है कि उन्होंने एक बार सोनिया से बातचीत की थी। इसमें सोनिया दृढ़ धर्मनिरपेक्ष दिखीं।


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