यह ख़बर 09 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

विश्व भारती मामले में पीएमओ ने मांगी रिपोर्ट, वार्डन को जमानत

खास बातें

  • प. बंगाल में नोबेल पुरस्कार विजेता कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती परिसर के एक स्कूल के छात्रावास में पांचवीं कक्षा की एक छात्रा को बिस्तर गीला करने की सजा के तौर पर उसे कथित तौर अपना ही पेशाब पीने के लिए बाध्य करने के मामले ने सोमवार
शांति निकेतन/नई दिल्ली:

प. बंगाल में नोबेल पुरस्कार विजेता कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती परिसर के एक स्कूल के छात्रावास में पांचवीं कक्षा की एक छात्रा को बिस्तर गीला करने की सजा के तौर पर उसे कथित तौर अपना ही पेशाब पीने के लिए बाध्य करने के मामले ने सोमवार को अलग ही मोड़ ले लिया।

आरोपी वार्डन के साथ छात्रा के माता-पिता को भी गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस घटना को संज्ञान में लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने रिपोर्ट तलब की है।

बोलपुर की एक अदालत ने तीनों को जमानत दे दी, घटना की निंदा की और वार्डन के खिलाफ जमानती अपराध के तहत मामला दर्ज करने के लिए पुलिस को फटकार लगाई।

अदालत ने पाथा भवन स्कूल की वार्डन उमा पोद्दार को छात्रा के इलाज का खर्च वहन करने का आदेश भी दिया। घटना के बाद से छात्रा की तबीयत खराब है।

पुलिस ने बताया कि वार्डन उमा पोद्दार को छात्रा के माता-पिता की शिकायत पर पहले हिरासत में लिया गया, फिर गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय की शिकायत पर अभिभावकों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। विश्वविद्यालय ने शिकायत की कि अभिभावकों ने बिना अनुमति विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया और छात्रों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया।

तीनों की गिरफ्तारी के बाद उमा पोद्दार और छात्रा के पिता मनोज मिस्त्री तथा मां पूनम मिस्त्री को बीरभूम के सत्र एवं जिला न्यायाधीश पीयूष घोष की अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।

पुलिस में की गई शिकायत के मुताबिक, यह घटना शनिवार शाम की है, जब काराबी छात्रावास की वार्डन उमा पोद्दार ने औचक निरीक्षण के दौरान छात्रा को बिस्तर गीला करने का दोषी पाया। आरोप है कि इसके बाद पोद्दार ने पेशाब पर नमक छिड़क दिया और सजा के तौर पर पुनीता को उसे पीने को कहा।

बताया जाता है कि बच्ची ने यह बात अपनी मां को बताई, जिसके बाद उसके अभिभावक तथा कई अन्य लोगों ने छात्रावास परिसर में पहुंचकर वार्डन के साथ बदसलूकी की।

बदसलूकी की घटना के बाद विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए छात्र कल्याण संकाय की पूर्व अध्यक्ष अरुणा मुखर्जी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। विश्वविद्यालय की कुलपति सुशांता दत्त गुप्ता ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि वार्डन को कुछ समय के लिए कार्य-मुक्त कर दिया गया है।

उधर, नई दिल्ली में एक अधिकारी ने कहा, "प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के जरिए रिपोर्ट मांगी है।"

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस घटना को 'बर्बर' करार दिया है। आयोग ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए
विश्वविद्यालय प्रशासन से इसकी रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह 10 दिन के भीतर इस घटना पर कार्रवाई करे।

आयोग ने पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा सचिव और विश्वभारती को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी है। पत्र में संबंधित अधिकारियों से कहा कि रिपोर्ट में जांच का विवरण और दोषी पाए जाने पर वार्डन के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा देने को कहा गया है।   
बाल आयोग के सदस्य सचिव लव वर्मा द्वारा लिखे गए पत्र में निर्देश दिया गया है कि पीड़ित छात्रा को राज्य सरकार के खर्चे पर तत्काल काउंसिलिंग मुहैया कराई जाए।  

आयोग की प्रमुख शांता सिन्हा ने कहा, "यह पूरी तरह से बर्बर है। यहां तक कि कोई जानवर भी ऐसा नहीं कर सकता। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषी जल्द से जल्द दंडित हो।"

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कोलकाता में मैगसेसे पुरस्कार विजेता लेखिका महाश्वेता देवी ने कहा, "यह घटना हम सभी के लिए शर्मनाक है। मैं सोच भी नहीं सकती कि इस तरह की घटना विश्व भारती में हो सकती है। इस घटना के लिए जो भी जिम्मेदार हो उसे सजा दी जानी चाहिए।" महाश्वेता स्वयं विश्व भारती की छात्रा रह चुकी हैं।