यह ख़बर 11 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

मैंने मध्यम वर्ग का मजाक नहीं उड़ाया : चिदंबरम

खास बातें

  • चिदंबरम के हवाले से मीडिया में खबरें आईं थीं कि जनता आइसक्रीम के लिए 20 रुपये देने को राजी है, लेकिन गेहूं-चावल की कीमत में एक रुपया की बढ़ोतरी का विरोध करती है।
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने अपने बयान को मीडिया में कथित रूप से जान-बूझकर तोड़-मरोड़कर पेश करने पर नाराजगी व्यक्त की है। चिदंबरम के हवाले से मीडिया में खबरें आईं थीं कि जनता आइसक्रीम के लिए 20 रुपये देने को राजी है, लेकिन गेहूं-चावल की कीमत में एक रुपया की बढ़ोतरी का विरोध करती है।

गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बेंगलुरु में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गृहमंत्री ने आम आदमी पर बोझ से जुड़े एक सवाल का जवाब देते वक्त आबादी के अलग-अलग वर्गों और उन्हें फायदा पहुंचाने वाली स्कीमों का जिक्र किया था।

बयान के अनुसार चिदंबरम ने उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (किसानों को लाभ पहुंचाने वाला), मनरेगा (ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों के फायदे वाला), मिड डे मील स्कीम (लाखों बच्चों के लिए लाभप्रद) और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (हजारों गांवों के फायदे वाली) का जिक्र किया था। गृहमंत्री ने कच्चे तेल की कीमतों का जिक्र किया था और कैसे सरकार पेट्रोल की कीमतों में पहली बढ़ोतरी के लिए मजबूर हुई थी और किस तरह मध्यम वर्ग के फायदे के लिए उसने दो बार इसमें कमी की।

चिदंबरम के जवाब के मूल पाठ के हवाले से बयान में कहा गया कि गृहमंत्री ने बेंगलुरु में कहा था, आपने ऊंची खाद्य कीमतों का जिक्र किया है। सही है, खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची है। लेकिन ऊंचे खरीद मूल्य से लाखों किसानों को फायदा होता है।

बयान के मुताबिक चिदंबरम ने कहा था, यदि आप गन्ने की कीमत बढ़ाएंगे तो चीनी पहले के मुकाबले सस्ती नहीं हो सकती। यदि आप खरीद के गेहूं या चावल की कीमत बढ़ाएंगे, तो ग्राहकों के लिए चावल और गेहूं सस्ता नहीं हो सकता। कभी-कभी और मैंने एक बार इस बारे में लिखा भी है, हम पानी की बोतल के लिए 15 रुपये देने को तैयार हैं, लेकिन एक किलो चावल या गेहूं की कीमत में एक रुपया की बढ़ोतरी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।

बयान में गृहमंत्री के हवाले से कहा गया, हम आइसक्रीम के कोन के लिए 20 रुपये देने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन एक किलो गेहूं या चावल पर एक रुपया दाम बढ़ने पर कीमत नहीं देंगे।

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बयान में कहा गया कि चिदंबरम बेंगलुरु में 10, जुलाई 2012 को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान संबद्ध सवाल और उसके जवाब को मीडिया द्वारा तोड़-मरोड़कर पेश करने से न सिर्फ क्षुब्ध हैं, बल्कि उन्हें इसकी नाराजगी भी है। गृहमंत्री ने अपने जवाब में किसी का मजाक नहीं बनाया था। उन्होंने 'हम' शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने ऐसे शब्द नहीं इस्तेमाल किए थे कि 'वे' (जनता) महंगाई को लेकर इतना शोर क्यों मचाते हैं।