यह ख़बर 27 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

टीम अन्ना के अनशन का तीसरा दिन, रामदेव ने दिखाई ताकत

खास बातें

  • दिल्ली के जंतर-मंतर पर टीम अन्ना के अनशन के तीसरे दिन वैसी भीड़ नहीं दिखी, जैसी सालभर पहले अन्ना के अनशन के दौरान थी।
नई दिल्ली:

भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना का अनशन शुक्रवार को तीसरे दिन प्रवेश कर गया। दोपहर बाद योग गुरु बाब रामदेव भी जंतर मंतर पहुंचे। उनके पहुंचने के साथ ही लोगों की कम उपस्थिति के कारण सरकार के तीर झेल रही टीम अन्ना को थोड़ी राहत मिली। रामदेव ने भले ही टीम अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी अनशन को अपना समर्थन दिया लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संवैधानिक कद का सम्मान रखने की बात करते हुए उनकी आलोचना करने का कड़ा विरोध किया।

उधर, अन्ना ने एक बार फिर सरकार पर आरोप लगाया कि वह टीम अन्ना की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि राजनीतिक दल शुरू करने की उनकी घोषणा के बाद उनके इरादे बेनकाब हो गए हैं।

रामदेव काले धन के विरोध में नौ अगस्त को प्रस्तावित अपने अनशन के सिलसिले में रामलीला मैदान का दौरा करने के बाद शुक्रवार दोपहर को जंतर मंतर पर पहुंचे थे।

अपने हजारों समर्थकों के साथ अनशन स्थल पर पहुंचे रामदेव ने कहा, "राष्ट्रपति संवैधानिक पद है। अगर कोई इस संवैधानिक पद पर आसीन हो जाता है तब किसी को उसकी आलोचना नहीं करनी चाहिए। यहां तक कि अन्ना हजारे भी इससे सहमत हैं।"

रामलीला मैदान छोड़ने से पहले उन्होंने कहा, "वर्तमान परिस्थितियों में प्रणब मुखर्जी का नाम नहीं लेना चाहिए, जो भी कुछ हो, पांच वर्ष बाद भी देखा जा सकता है।"

समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी थी जबकि इसके उलट उनके सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने प्रणब पर तीखे हमले जारी रखे थे।

जनलोकपाल कानून की मांग को लेकर 25 जुलाई से चल रहे टीम अन्ना के अनशन में जनता का सूखा रामदेव के आने के बाद खत्म हुआ। योग गुरु चार बजे धरना स्थल पर पहुंचे तो जंतर मंतर पर लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई।

रामदेव ने अपने भाषण में टीम अन्ना के अनशन को अपना समर्थन देते हुए कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी संघर्ष करने हम समर्थन करेंगे। यह लड़ाई देश को बचाने के लिए है।"

टीम अन्ना के अनिश्चितकालीन अनशन का शुक्रवार तीसरा दिन था। टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल, गोपाल राय और मनीष सिसोदिया भ्रष्टाचार के खिलाफ और प्रभावी जन लोकपाल विधेयक के समर्थन में अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। अन्ना रविवार से अनशन शुरू कर सकते हैं।

दोपहर 12 बजे तक अनशन स्थल पर मात्र लगभग 400 लोग ही थे, जबकि टीम अन्ना द्वारा इसके पहले दिल्ली में किए गए विरोध प्रदर्शनों में हजारों लोग मौजूद रहते थे। लेकिन अन्ना हजारे ने शुक्रवार सुबह कहा कि भीड़ कोई मायने नहीं रखती।

अन्ना ने जंतर मंतर पर कहा, "भीड़ जुटने से कोई आंदोलन मजबूत नहीं होता। आंदोलन की सफलता और विफलता भीड़ के आकार पर निर्भर नहीं होती।"

केजरीवाल के स्वास्थ्य के विषय में पूछे जाने पर अन्ना ने कहा कि उनका स्वास्थ्य चिंतनीय है।

उधर, टीम अन्ना के एक अन्य सदस्य प्रशांत भूषण ने केंद्रीय मंत्रियों पर हमले जारी रखे। उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला पर क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष रहने के दौरान धन के दुरुपयोग का आरोप मढ़ा। उन्होंने कहा, "ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे आदर्श घोटाले में संलिप्तता के बावजूद अपने प्रभाव के कारण सीबीआई से बचे हैं।"

अन्ना ने शुक्रवार को एक बार फिर सरकार पर आरोप लगाया कि वह टीम अन्ना की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है।

अन्ना ने कहा, "वी. नारायणसामी ने मुझे एक पत्र लिखा और उसे मेरी टीम को दे दिया ताकि वे यह महसूस करें कि अन्ना सरकार से बातचीत कर रहे हैं। वे हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।" अन्ना ने कहा, "इस आंदोलन में हिस्सा लेने से मुझे रोकने की उनकी यह साजिश थी।"

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने हालांकि अन्ना के इस आरोप के जवाब में कहा कि उन्होंने केवल हजारे के पत्र के जवाब में पत्र लिखा था।

नारायणसामी ने कहा कि राजनीतिक दल शुरू करने की उनकी घोषणा के बाद उनके इरादे बेनकाब हो गए हैं। उन्होंने कहा, "यह अच्छा हुआ कि उन्होंने आज (शुक्रवार) खुलकर यह बात कही कि वे एक राजनीतिक पार्टी बना रहे हैं। उनके इरादे बेनकाब हो गए हैं।" उन्होंने ने कहा, "जो लोग भूख हड़ताल पर बैठे हैं, वे महाराष्ट्र सदन जाकर आराम करते हैं। वे देश की जनता को मूर्ख बना रहे हैं।"

नारायणसामी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अन्ना हजारे ने शुक्रवार को एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में कहा, "यदि जनता कहती है कि अन्ना को राजनीति में प्रवेश करना चाहिए, तो मैं इसके बारे में सोच सकता हूं।" उन्होंने हालांकि तत्काल अपनी बात को पलटते हुए कहा, "मैं राजनीति में नहीं जाऊंगा, लेकिन मैं जनता को एक राजनीतिक विकल्प दूंगा। मैं चुनाव नहीं लडूंगा। लेकिन यदि कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए कोई राजनीतिक पार्टी शुरू करता है, तो मैं उसे समर्थन दूंगा। मैं समझता हूं कि जनता किसी ईमानदार उम्मीदवार के लिए तैयार है।"

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आंदोलन के भविष्य के बारे में अन्ना ने कहा, "सरकार (लोकपाल विधेयक पर) सहमत होती है या नहीं, हमें इससे कुछ भी लेना-देना नहीं है। हमें देश और समाज की भलाई के लिए अपना कर्तव्य करना है। सरकार सहमत नहीं होती है, तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा।" लेकिन अन्ना ने यह भी कहा कि उन्हें आशा है कि लोकपाल विधेयक देर-सबेर जरूर पारित होगा।