यह ख़बर 25 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

निर्वाचन प्रणाली की सीमाओं पर ध्यान देना जरूरी : उपराष्ट्रपति

खास बातें

  • उपराष्ट्रपति डॉ. एम. हामिद अंसारी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि चुनाव प्रबंधों में अपनी उपलब्धियों के बावजूद हम अपनी वाह-वाही नहीं कर सकते।
नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति डॉ. एम. हामिद अंसारी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि चुनाव प्रबंधों में अपनी उपलब्धियों के बावजूद हम अपनी वाह-वाही नहीं कर सकते।

चुनाव आयोग द्वारा तीसरें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर आयोजित एक राष्ट्रीय समारोह में 'सर्वेश्रेष्ठ निर्वाचन कार्य प्रणाली के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार' प्रदान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि छह दशकों का अनुभव हमें सिखाता है कि इसका सही तरीके से विश्लेषण किया जाना चाहिए। इससे पता चलता है कि प्रत्येक नागरिक जिसे मत देने का अधिकारी मिला हुआ है, इसका इस्तेमाल नहीं करता और दूसरा हमारे द्वारा अपनाई गई प्रणाली में अक्सर विजेता कुल डाले गये मतों के मतों के मुकाबले बहुमत से कम मत हासिल कर विजय प्राप्त करता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पहले भी और हाल के वर्षों में लोकसभा के निर्वाचित अधिकतर सदस्यों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गये कम मतों के आधार पर चुनाव जीता। राज्य विधानसभा चुनाव में भी स्थिति बदतर हुई है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह प्रणाली उम्मीदवारों का ध्यान एक खंड के मतदाताओं के मत हासिल करने में केन्द्रीत करती है, जिससे सामाजिक विभाजन पैदा होता है।

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चुनाव आयोग के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा तय किये गये उच्च मानदंडों को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है। सच्चाई यह है कि आयोग भारतीय अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक संस्थान और चुनाव प्रबंध के जरिये अन्य देशों के साथ चुनाव प्रबंधन के बारे में अपने संसाधनों का आदान-प्रदान कर रहा है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस का मकसद 18-19 वर्ष के मतदाताओं को मतदाता सूची में लाना है।