यह ख़बर 31 अक्टूबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

चारा घोटाला : लालू यादव की जमानत अर्जी हाईकोर्ट में खारिज

लालू यादव को पांच साल की सजा हुई है

रांची:

जेल में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मुखिया लालू प्रसाद की चारा घोटाला से जुड़े एक मामले में जमानत याचिका  झारखंड उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी। इससे उनके राजनीतिक भविष्य और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की राजनीति पर लगा ग्रहण गहरा गया है।

झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरआर प्रसाद की एकल पीठ ने जब लालू प्रसाद की जमानत याचिका खारिज की, तो लालू के वकील और न्यायालय में उपस्थित उनके समर्थक अवाक रह गए। इससे पूर्व, इस मामले में बुधवार को अदालत ने सीबीआई और लालू प्रसाद के वकील सुरेंद्र सिंह का पक्ष सुना था। न्यायालय ने इस मामले में लालू की जमानत याचिका पर फैसला सुनाने के लिए आज की तिथि निर्धारित की थी।

इससे पूर्व झारखंड उच्च न्यायालय ने 25 अक्टूबर को आंशिक सुनवाई के बाद बिहार के ही पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को खराब स्वास्थ्य के आधार पर दो माह की औपचारिक जमानत दे दी थी। लालू प्रसाद चारा घोटाले से जुड़े इस मामले में पांच वर्ष की कड़ी कैद की सजा बिरसा मुंडा जेल में काट रहे हैं।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह की अदालत ने लालू को यह सजा 3 अक्टूबर को सुनाई थी। इससे पूर्व उन्हें इस मामले में अदालत ने 30 सितंबर को ही दोषी करार देने के बाद जेल भेज दिया था। झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि मामले में सीबीआई द्वारा जुटाए गए तथ्यों के मद्देनजर वह लालू यादव को फिलहाल जमानत दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं।

न्यायालय ने यह भी कहा कि सीबीआई ने चारा घोटाले के इस मामले में लालू यादव के खिलाफ जो तथ्य एकत्रित किए हैं और जो साक्ष्य उनके खिलाफ प्रस्तुत किए गए हैं, वह बहुत ही गंभीर और मजबूत हैं, जिसे देखते हुए अभी इस मामले में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है। इसके अलावा न्यायालय ने जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा के अधिवक्ता द्वारा उनकी सजा के खिलाफ पेश की गई अपील और जमानत याचिका पर सीबीआई को अपना काउंटर एफिडेविट पेश करने के निर्देश दिए। उनकी जमानत के मामले में सुनवाई के लिए न्यायालय ने 22 नवंबर की तिथि निर्धारित की।

सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में 30 सितंबर को कुल 45 लोगों को दोषी ठहराया था और आठ लोगों को तो उसी दिन तीन-तीन वर्ष की कैद की सजा सुना दी थी, लेकिन लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्रा, जगदीश शर्मा और तीन आईएएस अधिकारियों समेत शेष 37 अभियुक्तों को उसने 3 अक्टूबर को चार से पांच वर्ष के सश्रम कारावास और डेढ़ करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

झारखंड उच्च न्यायालय के आज के फैसले से 66-वर्षीय लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक जीवन पर लगा ग्रहण गहरा गया है और अब उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के लिए गहन चिंतन का विषय यह हो गया है कि 2014 के लोकसभा चुनावों को लेकर उनकी पार्टी की तैयारियों का क्या होगा। निचली अदालत के फैसले के बाद दो सप्ताह पूर्व ही लालू प्रसाद यादव और जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा की संसद सदस्यता भी सुप्रीम कोर्ट के जुलाई के उस फैसले के तहत छीन ली गई है, जिसमें उसने दो वर्ष से अधिक की सजा पाने वाले सांसदों और विधायकों की संसद या विधानसभा की सदस्यता तत्काल खत्म कर दिए जाने के आदेश दिए थे।

आज के इस फैसले से लालू प्रसाद यादव एवं उनकी पार्टी को करारा झटका लगा है और अब यदि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी इस मामले में जमानत नहीं मिली, तो 2014 के लोकसभा चुनावों में आरजेडी फिलहाल नेतृत्व विहीन हो जाएगी, जिसका न सिर्फ बिहार की राजनीति, बल्कि देश की राजनीति पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ने की आशंका है।


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