यह ख़बर 21 नवंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

यौन उत्पीड़न : नारायण साईं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

नारायण साईं की फाइल तस्वीर

सूरत:

सूरत की दो बहनों की ओर से आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं दोनों के खिलाफ दर्ज कथित यौन उत्पीड़न के मामले में एक सत्र अदालत ने फरार साईं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रकाश शाह ने साईं की अग्रिम जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि पीड़िता के बयान और उसकी तरफ से दर्ज शिकायत से प्रथमदृष्टया अपराध में आरोपी व्यक्ति की संलिप्तता का पता चलता है।

अदालत ने यह भी कहा कि छानबीन के दौरान जुटाए गए सबूतों पर इस समय अविश्वास नहीं किया जा सकता है। अग्रिम जमानत के लिए साईं द्वारा एफआईआर दर्ज करने में देरी के आधार को भी अदालत ने खारिज कर दिया। सूरत स्थित दो बहनों की ओर से आसाराम और साईं पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद सूरत पुलिस ने जहांगीरपुरा पुलिस थाने में 6 अक्टूबर को दोनों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी।

दोनों बहनों में छोटी ने साईं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप है कि साईं ने 2002 से 2005 के बीच सूरत आश्रम में लड़की का लगातार यौन उत्पीड़न किया। पिछले सप्ताह साईं को अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया। सूरत के जहांगीरपुरा पुलिस थाने में दो शिकायत दर्ज होने के बाद आसाराम के खिलाफ शिकायत को अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाना स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि कथित घटना उसी इलाके में हुई थी।

दोनों बहनों में से बड़ी ने आसाराम पर 1997 से 2006 के दौरान लगातार यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। उस समय वह अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में आश्रम में रह रही थी। राजस्थान के अपने जोधपुर आश्रम में एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 72-वर्षीय आसाराम को अगस्त में गिरफ्तार कर लिया गया और अभी वह जेल में हैं।


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