यह ख़बर 24 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सीबीआई ने बराक मिसाइल मामले में पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को दी क्लीनचिट

नई दिल्ली:

सीबीआई ने 1150 करोड़ रुपये कीमत के बराक मिसाइल सौदे में कथित रिश्वत के सात वर्ष पुराने मामले में मंगलवार को क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसमें पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार आरोपी थे।

जांच एजेंसी ने पटियाला हाउस में विशेष सीबीआई अदालत में यह कहते हुए क्लोजर रिपोट दायर की कि विदेशों से प्राप्त जवाब से सरकारी कंपनी इजरायल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (आईएआई), समता पार्टी के पूर्व पदाधिकारियों जया जेटली और आरके जैन, फर्नांडिस और कुमार के खिलाफ आरोपों की पुष्टि नहीं होती।

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि न्यायिक अनुरोध ब्रिटेन, यूएई, मारिशस, जर्मनी और इजरायल भेजे गए थे जिसमें वित्तीय लेन-देन तथा मामले में आरोपी व्यक्तियों की अन्य जानकारियां मांगी गई थीं।

सूत्रों ने कहा कि इजरायल ने आग्रहपत्र के जवाब में सौदा कराने के लिए कोई भुगतान करने से इनकार किया। देश ने गोपनीयता का हवाला देते हुए इस संबंध कोई अन्य जानकारी देने से भी इनकार कर दिया। सूत्रों ने कहा कि अन्य देशों से जवाब से आईएआई और प्राथमिकी में उल्लेखित अन्य के खिलाफ आरोपों की पुष्टि नहीं होती। सीबीआई ने कहा कि यहां पर जांच के दौरान उसे तहलका द्वारा कराए गए स्टिंग आपरेशन के दौरान लगाए गए आरोपों के संबंध में कोई भी सबूत नहीं मिला।

यह आरोप लगाया गया था कि फर्नांडिस की सहयोगी जया जेटली और अन्य ने वर्ष 2000 में बराक मिसाइल के 1150 करोड़ रुपये के सौदे में दो करोड़ रुपये की रिश्वत ली।

सूत्रों ने कहा कि सीबीआई इस मामले की विभिन्न कोणों से जांच कर रही थी, लेकिन हर जांच में बाधा आयी क्योंकि कुछ कंपनियों के बारे में जानकारी मुहैया कराने के लिए राजनयिक रास्ते से तमाम आग्रह पत्र और अनुरोध भेजे जाने के बावजूद इजरायल ने सहयोग नहीं किया।

सूत्रों ने कहा कि इस मामले को बंद करने का निर्णय किया गया क्योंकि जांच में कोई भी प्रगति नहीं हो रही थी।

सीबीआई ने एक निर्दिष्ट अदालत में 10 अक्तूबर 2006 को एक प्राथमिकी दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि दो करोड़ रुपये का भुगतान जेटली को किया गया जिन्होंने इजरायली कंपनी से सात बराक मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली खरीद का सौदा कराने में एक 'एजेंट' की भूमिका निभाई थी।

जया जेटली उस समय फर्नांडिस की समता पार्टी की अध्यक्ष थीं। प्राथमिकी में जैन का भी नाम था जो कि समता पार्टी के कोषाध्यक्ष थे। सीबीआई का आरोप था कि जैन ने कई लाख रुपये की रिश्वत प्राप्त की थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कुमार ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर फर्नांडिस पर बराक प्रणालियां आयात के लिए दबाव बनाया जबकि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इस पर आपत्तियां थीं।

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सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि फर्नांडिस ने ना केवल बराक प्रणालियां आयात के प्रस्ताव को मंजूर किया बल्कि तत्कालीन रक्षा सचिव की आपत्ति के बावजूद उस प्रस्ताव को सुरक्षा पर मंत्रिमंडिलीय समिति से मंजूरी दिलाने का भी प्रयास किया।