यह ख़बर 03 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अदालत ने निठारी मामले में सुरेंद्र कोली के खिलाफ मौत का फरमान जारी किया

सुरेंद्र कोली की फाइल तस्वीर

गाजियाबाद:

निठारी सिलसिलेवार हत्या मामलों में आए एक नए घटनाक्रम में गाजियाबाद की सत्र अदालत ने 14 साल की रिम्पा हलदर की नृशंस हत्या मामले में सुरेन्द्र कोली के लिए मौत का फरमान (डेथ वारंट) जारी कर दिया है।

सीबीआई सूत्रों ने बुधवार को बताया कि कोली की मौत की सजा पर अमल के लिए जारी इस वारंट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कुमार गुप्ता ने कहा है कि इस मामले में दोषी द्वारा सारे कानूनी तरीकों का इस्तेमाल कर चुका है और अब उसे प्राण निकलने तक फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। मौत का यह वारंट उत्तर प्रदेश सरकार के पास भेजा गया है ताकि 42 वर्षीय कोली को फांसी देने के लिए आवश्यक तैयारियां की जा सकें। कोली को चार अन्य मामलों में मृत्युदंड दिया गया है। कोली गाजियाबाद की जेल में बंद है।

सूत्रों ने बताया कि अदालत ने फांसी के लिए 12 सितंबर की तारीख तय की है, लेकिन अंतिम तिथि उप्र प्रशासन के साथ विचार-विमर्श कर बदली जा सकती है।

केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से कोली की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की थी। सिंह ने मंत्री बनने के महज एक माह बाद यह सिफारिश भेज दी थी।

राष्ट्रपति ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए 27 जुलाई को कोली की दया याचिका खारिज कर दी थी। इसी के साथ कोली को फांसी देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का पथ प्रशस्त हो गया।

अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या कोली को फांसी पर चढ़ाया जाएगा क्योंकि उसके खिलाफ अभी भी हत्या के 11 मामले लंबित हैं। सीबीआई उसके खिलाफ 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है जिसमें उसने बच्चों का कथित यौन शोषण के बाद उनकी हत्या कर दी थी।

यह मामला दिसंबर 2006 में उस समय प्रकाश में आया जब एक लापता लड़की के बारे में पता चला कि उसकी हत्या कोली ने की थी।

मामले की तफतीश के दौरान जांच दल को बच्चों की नृशंस हत्याओं के बारे में पता चला। कोली जिस मकान में घरेलू नौकर की तरह काम करता था, उसके समीप के एक नाले से बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे।

कोली उत्तर प्रदेश में नोएडा के निठारी इलाके में बच्चों की नृशंस ढंग से हत्या करके उनके शवों को वीभत्स ढंग से काटता था। उसे रिम्पा हलदर की 2005 में हत्या के जुर्म में निचली अदालत ने मृत्यु दंड सुनाया था जिसकी पुष्टि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कर दी थी। बाद में उच्चतम न्यायालय ने 15 फरवरी 2011 को इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई।

कोली को सिलसिलेवार हत्यारा करार देते हुए अदालत ने कहा था कि उसके प्रति कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए।

कोली के खिलाफ 16 मामले दर्ज किए गए। उसके नियोक्ता मोनिन्दर सिंह पंढेर को भी रिम्पा हलदर मामले में मृत्युदंड सुनाया गया था, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे बरी कर दिया।

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कोली के खिलाफ दर्ज 16 मामलों में से पांच में उसे मृत्युदंड सुनाया गया है जबकि शेष अभी विचाराधीन हैं।