नीतीश ने कहा कि विशेष आर्थिक पैकेज के नाम पर बिहार को 87 फीसदी पुरानी चीजों की रिपैकेजिंग करके दी गई। हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को भागलपुर रैली में इस पैकेज की भी बात की थी।
उन्होंने कहा, भारत के संघीय ढांचे के अनुसार राज्य सरकारें टैक्स की उगाही करती हैं। उन्होंने कहा, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में राज्य सरकारों का 40 फीसदी योगदान है।
भागलपुर की परिवर्तन रैली में नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के जरिए नीतीश कुमार और महागठबंधन की स्वाभिमान रैली की जमकर आलोचना की। पीएम का भाषण खत्म होते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटवार करते हुए ट्विटर पर पीएम मोदी की जमकर खबर ली।
नीतीश ने ट्वीट कर पूछा कि मोदी जी को बिहार की याद भी आती है क्या? आज उन्होंने जो बोला, उसमें तथ्य तो कुछ थे नहीं, बस सुनाई पड़ा- मैं ...मैं ...बस मैं।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, 'मैं मोदी जी के भाषण को सुन रहा था उनके भाषण में तथ्य और आंकड़े दोनों ही गलत थे।'
कृपा करके पीएम नया वादा न करें
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर परिवर्तन रैली से पहले उनसे कहा कि वे बिहार के लिए नए वादे न करें बल्कि 'नैतिक साहस का परिचय दें' और आज तक किए गए सभी वादों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।
नीतीश ने ट्विट कर मंगलवार को कहा, 'नैतिक साहस दिखाएं। कृपा करके नए वादे नहीं। अबतक किए गए वादों को मूर्त रूप देने के लिए विश्वसनीय कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करें।' उन्होंने मोदी से कहा कि वह साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीति को अपराध मुक्त बनाने और आपराधिक छवि वालों को टिकट नहीं दिए जाने के वादे पर कायम रहें।
नीतीश ने प्रधानमंत्री से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का अपना वादा पूरा करने पर जोर देते हुए कहा कि वह लोगों को बिहार के लिए विशेष पैकेज देने की घोषणा कर 'गुमराह' करने से बचे जैसा कि उन्होंने 18 अगस्त को आरा में एक सरकारी समारोह में कहा था। उन्होंने कहा कि उस कथित पैकेज का 86 प्रतिशत भाग रिपैकेजिंग है और इससे वह जनता को गुमराह नहीं करें।
मुख्यमंत्री के डीएनए में कुछ खराबी होने की प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री 'अपने अपमानजनक शब्द वापस लें।'
नीतीश कुमार ने कहा, 'नैतिक साहस दिखाएं। डीएनए पर सवाल उठाने वाले और राज्य को बीमारू और लोगों को दुर्भाग्यशाली कहने वाले अपने अपमानजनक शब्द वापस लें।' उन्होंने प्रधानमंत्री से वाकपटुता, अपना सीना ठोंकने और एक के बाद एक नए वादे करने पर रोक लगाने तथा अपने पुराने वादों को पूरा करने में नाकाम रहने की अपनी कमी को स्वीकार करने का नैतिक साहस दिखाने को कहा।