सियासी संकट में घिरे सीएम मांझी ने कहा, रबड़ स्टैम्प नहीं बना इसलिए हटाना चाहते हैं नीतीश

नई दिल्ली/पटना:

जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जब उन्होंने रबड़ स्टांप बनने से इनकार कर दिया तब से नीतीश उनको हटाने की कोशिश में लगे हैं। मांझी ने यह भी कहा कि पहले दो महीने वह नीतीश के इशारों पर ही काम करते रहे, लेकिन इसके बाद उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।

प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के बाद मांझी ने एक बार फिर दोहराया है कि वह अभी भी बिहार के मुख्यमंत्री हैं और तब तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे जब तक कि विधानसभा के फ्लोर पर इस बात का फैसला नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि 20 फरवरी से बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। किसके पास बहुमत है और किसके पास नहीं, वह विधानसभा में ही साबित होगा। मांझी ने इस्तीफा देने से साफ इनकार करते हुए कहा कि नीतीश बहुमत साबित कर देंगे तभी वह इस्तीफा देंगे।

जीतन राम मांझी ने इस बात से साफ इनकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी किसी भी तरह की कोई राजनीतिक चर्चा हुई। उनका कहना है कि उन्होंने पीएम से सिर्फ विकास के कामों के लिए मदद मांगी है। जीतन राम मांझी ने ये भी आरोप लगाया है कि बिहार में विधायकों को डराया धमकाया जा रहा है, इसलिए अभी कोई खुल कर सामने नहीं आ रहा है।

नीतीश कुमार पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह महादलित को अपमानित कर रहे हैं। वे उन्हें काम करने को लेकर आए थे और जब वे नीतीश से भी अच्छा काम करने लगे तो उनको हटाने की साज़िश रची गई है। नीतीश सत्ता के लिए छटपटा रहे हैं।

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पार्टी अध्यक्ष के बुलावे पर विधायक दल की बैठक और नीतीश कुमार को नेता चुने जाने की प्रक्रिया को मान्यता देने से इनकार करते हुए मांझी ने कहा कि ये सब असंवैधानिक तरीक़े से हुआ है। सड़क पर लिए गए किसी फैसले की कोई मान्यता नहीं होती। उनके पास अगर ज्यादा विधायक हैं तो वे विधानसभा में साबित कर दें।
 
जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री के नाते प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली आए हुए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अलग से मिलने का समय मांगा था। प्रधानमंत्री से शाम पांच बजे उनकी मुलाक़ात तय हुई। माना जा रहा है कि शक्ति परीक्षण की स्थिति में मांझी बीजेपी का साथ चाहते हैं और मोदी से इसी बाबत मिले हैं। नीतीश खेमे के नेता आरोप लगा रहे हैं कि जेडीयू में मचे घमासान के पीछे बीजेपी का ही हाथ है। मांझी इस बात से इंकार कर रहे हैं कि वे बीजेपी के बहकावे में हैं।

उधर राज्य की बागडोर अपने हाथ में वापस लेने के इच्छुक नीतीश कुमार भी पटना में मोर्चेबंदी में जुटे हैं। नीतीश कुमार के समर्थक नेता रविवार दोपहर राजभवन पहुंचे और उन्होंने नीतीश समर्थक विधायकों की सूची सौंपी। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने नीतीश कुमार को जदयू विधायक दल के नए नेता के रूप में मान्यता दे दी।

जीतन राम मांझी नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। यहां पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने कहा कि उन्हें पद से हटाने की साजिश की जा रही है। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष शरद यादव की बुलाई गई विधायक दल की बैठक को एक बार फिर अवैध बताया।

जेडीयू के कुछ नेता मांझी के समर्थन में भी खड़े दिखाई दे रहे हैं। मांझी समर्थक मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि अगर सरकार बचाने के लिए जरूरत पड़ी, तो बीजेपी से समर्थन लिया जा सकता है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने कहा, हम मांझी सरकार को समर्थन देंगे और हम साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।

गौरतलब है कि बिहार में जारी सियासी उठापटक के बीच कल नीतीश कुमार को जेडीयू विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इसके साथ ही नीतीश के फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। हालांकि मुख्यमंत्री जीतन मांझी अब भी इस्तीफा न देने पर अड़े हुए हैं।

अब सब कुछ राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी पर निर्भर करता है कि वह नीतीश कुमार को सीएम पद की शपथ के लिए बुलाते हैं या फिर मांझी की विधानसभा भंग करने की सिफारिश को मंजूर करते हैं। इस बीच नीतीश खेमे के 20 मंत्रियों ने कल देर शाम मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इन मंत्रियों का कहना है कि मांझी के पास मुख्यमंत्री बने रहने का नैतिक हक नहीं है।