यह ख़बर 31 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

पीएम ने कहा, न कोई हमेशा का दोस्त... न दुश्मन’

खास बातें

  • जापान और थाईलैंड के दौरे से लौटते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भविष्य की राजनीति के संकेत दिए हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राजनीति में कोई भी हमेशा का 'दोस्त' या 'दुश्मन' नहीं होता है।
विशेष विमान से प्रधानमंत्री:

जापान और थाईलैंड के दौरे से लौटते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भविष्य की राजनीति के संकेत दिए हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राजनीति में कोई भी हमेशा का 'दोस्त' या 'दुश्मन' नहीं होता है।

अपने और सोनिया गांधी के बीच अनबन से इनकार करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि ऐसी अटकलों में कोई सच्चाई नहीं है, क्योंकि दोनों लगभग सभी मुद्दों पर साथ मिलकर काम करते हैं।

जापान और थाईलैंड की पांच दिन की यात्रा के बाद स्वदेश लौटते समय विमान में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, सच बात यह है कि मेरे और कांग्रेस अध्यक्ष के बीच विचारों में कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा, तकरीबन हर मुद्दे पर हम साथ काम करते हैं और जहां विचार-विमर्श की जरूरत होती है, मैं कांग्रेस अध्यक्ष से मशविरा करता हूं। उनके और सोनिया के बीच कथित विश्वास की कमी और मतभेदों से जुड़े सवालों के जवाब में सिंह ने उक्त बातें कहीं।

सिंह ने कहा, इस धारणा में कोई सच्चाई नहीं है कि कुछ मुद्दों को लेकर विचारों में मतभेद हैं। उनसे यह सवाल भी किए गए थे कि क्या तत्कालीन कानून मंत्री अश्विनी कुमार से इस्तीफा लेने के लिए उन पर सोनिया ने दबाव डाला था। यह भी कि क्या उन्हें उस समय कठिन स्थिति का सामना करना पड़ा जब सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने उच्चतम न्यायालय को दिए जाने वाले कोलगेट से संबंधित हलफनामे में फेर-बदल करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के एक संयुक्त सचिव का नाम लिया, लेकिन प्रधानमंत्री ने इन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की।

साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में रिक्त पदों को भरने के बारे में विचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से यह पूछा गया था कि क्या वह रिक्त पदों के मद्देनज़र मंत्रिमंडल में फेरबदल के बारे में विचार कर रहे हैं। पीके बंसल के रेल मंत्री और अश्विनी कुमार के कानून मंत्री के पद से इस्तीफे देने से खाली हुए पदों समेत मंत्रिमंडल में नौ रिक्त पद हैं।

प्रधानमंत्री ने आईपीएल विवाद पर कहा है कि राजनीति और खेल को अलग रखा जाना चाहिए। हालांकि अभी इस मामले की जांच चल रही है इसलिए इस मुद्दे पर कुछ भी बोलना ठीक नहीं होगा।

संसद की कार्यवाही को बाधित करने के लिए विपक्ष की निन्दा करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि यह पहले की अपेक्षा अब ज्यादा असहिष्णु हो गया है। उन्होंने संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने में राजनीतिक दलों से सरकार की मदद करने तथा ‘‘बाधा डालने वाली भूमिका’’ बंद करने की फिर से अपील की। उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष अब पहले की अपेक्षा और ज्यादा असहिष्णु हो गया है। उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि हम संप्रग-1 के लिए चुनाव जीतेंगे और वे तब दोगुना निराश हो गए जब हमने संप्रग-2 के लिए भी चुनाव जीत लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा, इसलिए, विपक्ष की बाधाकारी भूमिका हाल के वर्षों में काफी बढ़ गई है। मुझे गहरा खेद है कि सरकार के खिलाफ विपक्ष की कटुता के कारण सदन के कुछ अत्यंत आवश्यक कामकाज नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के सभी प्रयास करेगी कि आवश्यक कामकाज सही ढंग से हो।

सिंह ने कहा, मैं इस प्रक्रिया में सरकार की मदद के लिए एक बार फिर से सभी राजनीतिक दलों से मदद की अपील करता हूं। प्रधानमंत्री से पूछा गया कि पिछले नौ सालों में इस पद पर रहते उनके लिए तीन सबसे बड़े खेद क्या रहे। उनसे यह भी पूछा गया कि क्या सरकार लंबित कामकाज को पूरा करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने पर विचार करेगी।

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यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार संप्रग-3 के लिए वाम या ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस तक पहुंच बनाने की योजना बना रही है, प्रधानमंत्री ने कहा, देखिए, राजनीति में कोई स्थाई सहयोगी और कोई स्थाई शत्रु नहीं होता। इन संभावनाओं कि कुछ लोग आते हैं और कुछ लोग जाते हैं, को उसी रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। संप्रग-1 सरकार से वाम दल अलग हो गए थे और ममता ने संप्रग-2 सरकार से नाता तोड़ा लिया।