अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर ‘काल्पनिक आशंकाओं’ की कोई जगह नहीं : पीएम मोदी

पीएम मोदी की फाइल फोटो

नई दिल्‍ली:

अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर हो रही आलोचना की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा है कि उनकी सरकार जाति, संप्रदाय और धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव ‘बर्दाश्त या स्वीकार नहीं करेगी।'

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर ‘काल्पनिक आशंकाओं’ की कोई जगह नहीं है। बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से की गई विवादित टिप्पणियों की खिलाफत करते हुए मोदी ने कहा कि जब भी किसी खास अल्पसंख्यक धर्म के बाबत किसी व्यक्ति द्वारा कुछ कहा गया तो ‘हमने तुरंत उसे अस्वीकार किया है।’

दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास पर ‘टाइम’ मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने ये बातें कहीं। उनसे बीजेपी के कुछ नेताओं के ऐसे विवादित बयानों के बारे में पूछा गया था जिससे मुस्लिमों, ईसाइयों और कुछ अन्य वर्गों में भारत में अपने धर्म के पालन से जुड़ी भविष्य की चिंताएं पैदा हुई थीं।

उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार जाति, संप्रदाय और धर्म के आधार पर किसी तरह का भेदभाव बर्दाश्त या स्वीकार नहीं करेगी। लिहाजा, भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों से जुड़ी काल्पनिक आशंकाओं की कोई जगह नहीं है।’

मोदी ने कहा, ‘और जब भी किसी खास अल्पसंख्यक धर्म के बाबत किसी व्यक्ति द्वारा कुछ कहा गया तो हमने तुरंत उसे अस्वीकार किया है। जहां तक बीजेपी और मेरी सरकार का सवाल है...तो सिर्फ एक ही पवित्र ग्रंथ है और वह है भारत का संविधान।’

हिंदूवादी संगठनों की ओर से चलाए जाने वाले ‘घर वापसी’, ‘लव जिहाद’ जैसे अभियानों और हाल ही में दिल्ली सहित कुछ अन्य शहरों में चर्चों में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं के मुद्दे पर मोदी सरकार आलोचना का शिकार होती रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बयान के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि यदि भारत के इतिहास का विश्लेषण किया जाए, तो एक भी ऐसी घटना नहीं मिलेगी जब इस देश ने दूसरे देश पर हमला किया हो। गौरतलब है कि ओबामा ने कहा था कि यदि भारत को सफल होना है तो यह अहम है कि देश धार्मिक आधार पर न बंटने पाए।

मोदी ने आगे कहा, ‘इसी तरह, आपको हमारे इतिहास में एक भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा जहां हमने जातीयता या धर्म के आधार पर युद्ध छेड़ा हो।’ उन्होंने कहा, ‘लिहाजा, सभी धर्मों को स्वीकार करने की प्रकृति हमारे खून में है। यह हमारी सभ्‍यता है। साथ मिलकर काम करना, सभी धर्मों को साथ लेकर चलना हमारी व्यवस्था में निहित है।’ यह पूछे जाने पर कि हिंदुत्व की उनकी आस्था का मतलब क्या है, इस पर प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इसमें हिंदुत्व की ‘सुंदर परिभाषा’ दी गई है। शीर्ष न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि हिंदुत्व कोई धर्म नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है।

उन्होंने कहा, ‘हिंदुत्व असीम गहराई और विशाल विविधता वाला धर्म है। उदाहरण के लिए, जो मूर्ति पूजा करता है वह भी हिंदू है और जो मूर्ति पूजा से नफरत करता है, वह भी हिंदू हो सकता है।’ भारत में सुधारों की गति को लेकर विदेशी निवेशकों द्वारा उठाए गए सवाल के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि जब पिछले साल मई में उन्होंने प्रधानमंत्री पद संभाला, उस वक्त ‘पूरी तरह नीतिगत पंगुता का माहौल था।’

यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, ‘दूसरी बात ये कि भ्रष्टाचार पूरी व्यवस्था में कायम हो गया था। तीसरा ये कि कोई नेतृत्व नहीं था। केंद्र में एक कमजोर सरकार थी।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए आपको पिछली सरकार के 10 साल बनाम मेरी सरकार के 10 महीने को देखने की जरूरत है।’ मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत को लेकर काफी उत्साहित है।

उन्होंने कहा, ‘असल में आप देखेंगे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व एक बार फिर भारत और यहां मौजूद अवसरों को लेकर काफी उत्साहित है।’ अपने विरोधियों द्वारा लगाए जाने वाले तानाशाही के आरोपों से जुड़े एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तानाशाही की कोई जरूरत नहीं है।

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मोदी ने कहा, ‘अगर आप मुझसे पूछेंगे कि क्या आपको भारत को चलाने के लिए तानाशाही की जरूरत है, तो नहीं..इसकी जरूरत नहीं है। क्या आपको देश चलाने के लिए तानाशाही सोच की जरूरत है, नहीं, आपको इसकी जरूरत नहीं है। क्या आपको एक ऐसे ताकतवर शख्स की जरूरत है जो एक ही जगह पर सारे अधिकारों को केंद्रित रखता हो, तो नहीं..आपको इसकी जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत आसानी से और बगैर किसी संदेह के लोकतंत्र को चुनूंगा। मैं लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करता हूं।’