यह ख़बर 05 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

गैर-संप्रग मुख्यमंत्रियों ने एनसीटीसी का विरोध किया

खास बातें

  • तमाम मुख्यमंत्रियों ने बुधवार को, प्रस्तावित राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केंद्र (एनसीटीसी) पर कड़ी आपत्ति जताई, जिनकी पार्टी केंद्र में सत्ताधारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में साझेदार नहीं है या उससे जुड़ी नहीं है।
नई दिल्ली:

तमाम मुख्यमंत्रियों ने बुधवार को, प्रस्तावित राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केंद्र (एनसीटीसी) पर कड़ी आपत्ति जताई, जिनकी पार्टी केंद्र में सत्ताधारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में साझेदार नहीं है या उससे जुड़ी नहीं है।
 
मुख्यमंत्रियों का तर्क है कि विवादित प्रस्ताव का ढांचा संघ के सिद्धांत के खिलाफ है।
 
विपक्षी दलों के कई मुख्यमंत्रियों ने यह भी कहा कि नक्सलवाद इस समय देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है।
 
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मुझे लगता है कि एनसीटीसी के वर्तमान मसौदे में राज्यों द्वारा उठाई गई कुछ चिंताओं को शामिल किया गया है। हालांकि, नए मसौदे में कुछ मुद्दे छूट गए हैं। एनसीटीसी के प्रस्तावित स्वरूप एवं कार्यप्रणाली पर हमें कड़ी आपत्ति है।"
 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनसीटीसी पर पिछले वर्ष व्यक्त की गई अपनी आशंकाओं पर ही अटके रहे।
 
नीतीश ने कहा, "मैं, प्रस्तावित एनसीटीसी की संरचना, शक्तियों एवं कार्यप्रणाली पर अपनी आशंकाएं पहले ही जाहिर कर चुका हूं। वर्तमान मसौदे में अभी भी कुछ गंभीर खामियां रह गई हैं।"
 
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा, "राज्य सरकार, राज्य और केंद्र के बीच खुफिया जानकारी को साझा करने के लिए एक प्रभावी तंत्र की जरूरत का पूर्ण समर्थन करती है। हालांकि, गृह मंत्रालय द्वारा एनसीटीसी की स्थापना के लिए भेजे गए प्रस्ताव का राज्य सरकार विरोध करती है।"
 
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा, "आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सलवाद सबसे बड़ी समस्या है। यह समस्या सिर्फ छत्तीसगढ़ की नहीं, बल्कि कई राज्यों की है। इससे निबटने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की जरूरत है।"
 
मोदी ने आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त न करने वाली एक राष्ट्रीय नीति के साथ एक निवारण तंत्र पर विशेष जोर दिया।
 
एनसीटीसी, भारत के लिए प्रस्तावित एक आतंकवाद निरोधी संघीय एजेंसी है। 2008 में हुए मुम्बई हमले के बाद इसका प्रस्ताव आया था, लेकिन कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा इसकी घोर आलोचना की जा रही है, क्योंकि उनका मानना है कि यह भारत की संघीय प्रणाली को कमजोर करने वाला है।


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