सिर्फ व्यापारिक साझेदार नहीं, हम भारत के 'सबसे बुरे दौर' में भी साथ खड़े रहे : रूस

सिर्फ व्यापारिक साझेदार नहीं, हम भारत के 'सबसे बुरे दौर' में भी साथ खड़े रहे : रूस

रूस के राष्ट्रपति पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

खास बातें

  • भारत-रूस ने हाल में 12 अरब डॉलर से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर किए
  • 'अमेरिका और यूरोपीय देश वह कभी नहीं दे सकते, जो रूस दे सकता है'
  • 'रूस भारत का मित्र और एक सहयोगी है'
नई दिल्ली:

दूसरी परमाणु पनडुब्बी लीज पर देने सहित इस महीने 12 अरब डॉलर से अधिक के सौदे कर चुके रूस को भारत से और सौदे हासिल होने की उम्मीद है. रूस ने खुद को भारत का केवल एक व्यापारिक साझेदार ही नहीं, बल्कि एक ऐसा 'मित्र' बताया जिसने उसके सबसे बुरे दौर में भी उसका साथ दिया.

रूस की नजर भारत की पी75-आई परियोजना पर है, जिसके तहत 'एयर इंडेपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम' वाली छह पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण होना है. इसके साथ ही रूस की नजर अगली पीढ़ी के विमानवाही पोत परियोजना के अलावा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को संयुक्त रूप से विकसित करने की परियोजना पर भी है.

रूस के एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि इसकी कोई सीमा नहीं कि भारत और रूस मिलकर क्या कर सकते हैं. उन्होंने दावा किया कि अमेरिका और यूरोपीय देश वह कभी नहीं दे सकते, जो रूस दे सकता है और जिसकी उसने पेशकश की है.

रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन के सीईओ सर्गेई चेम्जोव ने पीटीआई से कहा, 'हम न केवल सबसे कारगर हथियार और सबसे महत्वपूर्ण हथियारों की आपूर्ति करने को तैयार हैं, बल्कि हम अपनी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी देना भी जारी रखेंगे.' रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन 700 उच्च तकनीक वाले असैन्य एवं सैन्य कंपनियों का एक समूह है.

उन्होंने कहा, 'रूस एक व्यापारिक साझेदार नहीं, बल्कि एक मित्र और एक सहयोगी है. रूस, भारत के साथ उसके सबसे खराब समय में भी खड़ा रहा. अगले वर्ष हम अपनी मित्रता के 70 वर्ष पूरे करेंगे. यह एक लंबा समय है.' उन्होंने कहा कि रूस भारत के साथ तब भी खड़ा रहा, जब 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद उस पर प्रतिबंध लगे थे.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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