यह ख़बर 20 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

संवैधानिक दर्जे वाले लोकपाल को कैबिनेट की मंजूरी

खास बातें

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को लोकपाल विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी। 22 दिसंबर को लोकपाल बिल को संसद में पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संवैधानिक दर्जे के साथ लोकपाल के गठन के लिए ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी प्रदान की जिसके दायरे में सीबीआई नहीं होगी लेकिन कुछ एहतियातों के साथ प्रधानमंत्री के पद को इसके अधीन लाया जाएगा। सीबीआई को लोकपाल के अधीन लाने की अन्ना हजारे की मांग को नहीं मानते हुए सरकार ने सीबीआई से अभियोजन निदेशालय अलग नहीं करने का भी निर्णय लिया है। मंत्रियों के एक समूह और अधिकारियों द्वारा दो दिन तक विधेयक के मसौदे पर गंभीर मंथन के बाद संविधान (संशोधन) विधेयक के नए मसौदे को करीब 70 मिनट तक चली कैबिनेट की विशेष बैठक में मंजूरी दे दी गई। विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा और अगस्त में पेश किए जा चुके मौजूदा विधेयक को वापस ले लिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि लोकपाल की संस्था नौ सदस्यीय होगी जिसमें एक अध्यक्ष होगा। अध्यक्ष का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश की चार सदस्यीय समिति करेगी। विधेयक में प्रधानमंत्री को कुछ एहतियातों के साथ लोकपाल के दायरे में लाने का प्रावधान है। इनमें अंतरराष्ट्रीय संबंध, सरकारी व्यवस्था, परमाणु उर्जा, अंतरिक्ष, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा जैसे विषयों को जांच के दायरे से बाहर रखा जाना प्रस्तावित है।लोकपाल नौ सदस्यीय संस्था होगी जिसका कार्यकाल पांच साल का होगा और इसके अध्यक्ष या सदस्य पर कम से कम 100 सांसदों के प्रस्ताव के बाद ही महाभियोग चलाया जा सकेगा। सरकार ने मूल मसौदे से हटते हुए लोकपाल की पीठ में और उसकी पड़ताल समिति में अनुसूचित जाति-जनजातियों, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव दिया है। सूत्रों ने कहा कि पीठ के आधे सदस्य न्यायिक पृष्ठभूमि से होंगे।


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