मुफलिसी का एक दौर ऐसा भी था जब ओमुपरी एक्‍टर नहीं बल्कि रेलवे ड्राइवर बनना चाहते थे...

मुफलिसी का एक दौर ऐसा भी था जब ओमुपरी एक्‍टर नहीं बल्कि रेलवे ड्राइवर बनना चाहते थे...

ओम पुरी का शुरुआती जीवन संघर्षों भरा रहा

नई दिल्‍ली:

बॉलीवुड के हरफनमौला एक्‍टर और अंतरराष्‍ट्रीय सिनेमा में भी एक्टिंग की धाक जमाने वाले मशहूर अभिनेता ओम पुरी (66) का आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. अंबाला में एक गरीब परिवार में जन्‍मे ओम पुरी को शुरुआती जिंदगी में बेहद संघर्ष का सामना करना पड़ा. शुरुआती दिनों में उनकी तमन्‍ना फिल्‍मों में एक्टिंग की नहीं बल्कि रेलवे ड्राइवर बनने की थी.

इसके पीछे भी एक दिलचस्‍प वाकया है. दरअसल आर्थिक जरूरतों के चलते उनको शुरू में एक ढाबे में काम करना पड़ा. एक बार ढाबा मालिक ने उन पर चोरी का आरोप लगा दिया. इसके चलते उनकी नौकरी चली गई. बचपन में जहां वह रहते थे, उसके पास में एक बड़ा रेलवे यार्ड था. ट्रेनों को आवाजाही देखने के दौरान ही उनके मन में बड़े होकर रेलवे ड्राइवर बनने की तमन्‍ना पनपी. मुफलिसी के उस दौर में वह कई बार उस यार्ड में खड़ी किसी ट्रेन में जाकर सो जाया करते थे. हालांकि बाद में उनकी तमन्‍ना सेना में जाने की भी थी. एक बार अनुपम खेर के साथ इंटरव्‍यू में उन्‍होंने इस बारे में कहा था.

उसके बाद वह पढ़ाई के लिए नाना-नानी के पास पटियाला चले गए और वहां भी उन्‍होंने अपने पैसों की किल्‍लत के चलते पार्ट टाइम में एक वकील के यहां मुंशी की नौकरी कर ली. उसके कुछ समय बाद ही उन्‍होंने कैमिस्‍ट्री लैब में असिस्‍टेंट की नौकरी शुरू की.

जब करियर में आया मोड़...
दरअसल पटियाला में पढ़ाई के दौरान कॉलेज के यूथ फेस्टिवल के चलते उनका परिचय नाटकों की दुनिया से हुआ.
इस बारे में एक बार अपने करीबी मित्र और सह कलाकार अनुपम खेर के टॉक शो 'कुछ भी हो सकता है' में बातचीत के दौरान ओमपुरी ने बताया कि किस तरह वह पटियाला कॉलेज में एक नाटक कर रहे थे जब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पास आउट हरपाल ने उन्हें देखा और उनसे कहा कि वह उनके नाटक समूह पंजाब कला मंच में शामिल हो जाएं.

ओमपुरी ने बताया कि उस वक्त वह लैब अस्सिटेंट की नौकरी कर रहे थे इसलिए उन्होंने कहा कि वह समूह में शामिल नहीं हो सकते. इस पर दिवाना ने उनसे कहा कि 'तुम्हें लैब में नौकरी करने के जितने पैसे मिलते हैं, मैं उससे ज्यादा दूंगा. तुम दिन में पढ़ाई करो और रात में मेरे नाटक में काम करो. तुम्हें लैब में 125 रुपये मिलते हैं, मैं तुम्हें 150 रुपये दूंगा.' बाद में वह हरपाल और नीना तिवाना ग्रुप से जुड़ गए.

लगभग तीन वर्ष इस पंजाब कला मंच से जुड़ रहने के बाद ओम पुरी ने दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में दाखिला लिया. उसके बाद एक्‍टर बनने के सपने के चलते वह वहां से पुणे के एफटीआईआई पहुंचे. उसके बाद मायानगरी का रुख किया और फिल्‍मों में बेजोड़ अभिनय के दम पर साधारण शक्‍ल-सूरत होने के बावजूद जबर्दस्‍त कामयाबी पाई.

ओमपुरी और नसीरुद्दीन शाह केवल दो कलाकार ऐसे हैं जिन्‍होंने एनएसडी और एफटीआईआई से प्रशिक्षण लिया है.


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