यह ख़बर 09 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

बाढ़ प्रभावित जम्मू- कश्मीर में राहत कार्य में जुटे वायु सेना के हेलीकॉप्टर से आंखों देखा हाल

जम्मू:

जम्मू-कश्मीर में आई भयावह बाढ़ जैसी त्रासदियों के बीच हमारे सुरक्षा बलों का असली किरदार सामने आता है। उत्तराखंड की त्रासदी के समय भी वायुसेना के पायलटों ने बिल्कुल हीरो की तरह काम किया। इस बार भी वायुसेना के पायलट लगातार उड़ानें भर रहे हैं और लोगों को बचाने में जुटे हैं, लेकिन यहां वक्त उनका इकलौता दुश्मन बना हुआ है।

वायुसेना के एमआई−17 हेलीकॉप्टरों में सामान चढ़ाया जा रहा है और पायलट जंगल के हालात के हवा की रफ्तार के और ताज़ा मौसम के मुआयने में लगे हैं। ये सारी सूचनाएं उन्हें रेडियो पर मिल रही हैं।

उनके एक−एक उड़ान का मतलब लाखों फंसे हुए लोगों के लिए कुछ टन और खाने की सप्लाई है। सुबह से ही जम्मू के बेस से एक के बाद एक हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं।

रात भर में सड़कें बह गई हैं और 100 से ज़्यादा गांव पूरी तरह कटे हुए हैं। भारतीय वायुसेना दवा, तंबू, तेल, और खाना लेकर उड़ान भर रही है। यहां सड़कें नहीं हैं, इसलिए हेलीकॉप्टर उन्हें जिंदा रखने का इकलौता जरिया हैं।
 
खाना गिराने के लिए उड़ान भरते हुए हमारी नज़र एक छत पर बैठे एक परिवार पर पड़ती है। जब हम उतरते हैं सूरज गायब हो जाता है बादल छाते दिखाई पड़ते हैं, मिनटों में साफ़−सुथरा आसमान डरावना हो उठता है।

सामान जल्दी−जल्दी उतारा जाना है। हेलीपैड पर कुछ चिंतित गांववाले सप्लाई की राह देख रहे हैं। क़रीब 2 टन खाना दवाएं और टेंट गिराने के बाद भी बहुत सारे लोगों का इंतज़ार बाकी है।

श्रीनगर में सेना के इंजीनियर रास्ता साफ करने में लगे हैं। सेना प्रमुख ने बाक़ायदा ट्वीट कर कहा कि जब तक एक−एक आदमी को सुरक्षित निकाल नहीं लिया जाता, भारतीय सेना बैरकों में नहीं लौटेगी।

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यहां मुख्य हाइवे खोलना बस समस्या का एक सिरा है। दूर−दराज के गांवों में फंसे बहुत सारे लोगों के लिए ज़िंदगी को सामान्य होने में अभी कई दिन लगेंगे।