वन रैंक वन पेंशन : आंदोलन से पहले ही रिटायर्ड अर्द्धसैनिक बलों में फूट पड़ी

वन रैंक वन पेंशन : आंदोलन से पहले ही रिटायर्ड अर्द्धसैनिक बलों में फूट पड़ी

अद्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त अधिकारी।

नई दिल्ली:

पूर्व सैनिकों की तर्ज़ पर वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के पूर्व कर्मचारियों में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने को लेकर फूट पड़ गई है।

पैरामिलिट्री फोर्सेज़ पर्सनल वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव पीएस नायर के नेतृत्व में जहां एक धड़ा दो नवम्बर से मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने की तैयारी कर रहा है, वहीं संगठन की राष्ट्रीय समन्वय समिति ऐसे किसी भी विरोध प्रदर्शन के खिलाफ उतर आई है।

इस ग्रुप का यह भी कहना है हम न तो प्रर्दशन में शामिल होंगे और न ही इसका समर्थन करेंगे। उनके मुताबिक वह अनुशासन प्रिय लोग हैं और फिलहाल कोशिश सरकार के साथ मिलकर बात कर समाधान निकालने की होगी ।

नायर को नोटिस देने की तैयारी   
समिति के बाकी सदस्यों ने पीएस नायर को कारण बताओ नोटिस भेजने की तैयारी कर ली है। समिति ने चेयरमैन और सीआरपीएफ के रिटायर्ड आईजी वीपीएस पवार ने कहा है कि अर्द्धसैनिक बल अनुशासनप्रिय हैं और सड़कों पर बैठ कर अपनी मांगें मनवाने का यह तरीका ठीक नहीं है। इसके बजाय शालीनता का परिचय देते हुए उचित मंच पर अपनी बात ठोस तरीके से कहनी चाहिए।

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हालांकि पवार भी मानते हैं सेना के मुकाबले अर्द्धसैनिक बलों के साथ अन्याय होता आया है। इनके मुताबिक फिलहाल इनकी कोशिश 2004 के बाद भर्ती हुए जवानों और अफसरों को पेंशन, सुविधाएं और बेहतर ग्रेड दिलवाने पर है। इनके मुताबिक अर्द्धसैनिक बलों को न तो कैंटीन की सुविधा मिलती है और न ही मुफ्त का राशन। देशभर में करीब नौ लाख रिटायर्ड अर्द्धसैनिक बल के जवान हैं और आजादी के बाद से करीब 32 हजार जवान वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं।