यह ख़बर 17 अप्रैल, 2012 को प्रकाशित हुई थी

ममता के राज में विरोधियों की शामत!

खास बातें

  • भारत और विदेशों के वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खत लिखकर प. बंगाल के एक वैज्ञानिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की है।
कोलकाता:

भारत और विदेशों के वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खत लिखकर प. बंगाल के एक वैज्ञानिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की है।

प्रधानमंत्री को खत लिखने वालों में National Advisory Council की सदस्य अरुणा रॉय भी शामिल हैं।

गत 4 अप्रैल को कोलकाता के रूबी मोरे इलाके में पुलिस ने नोनाडांगा बस्ती खाली कराने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे झुग्गीवासियों और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। इस प्रदर्शन में उस दिन प्रोफेसर पार्थसारथी रॉय शामिल नहीं थे। वह तब कोलकाता से 60 किलोमीटर दूर मोहनपुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के अपने दफ़्तर में बैठे हुए थे। लेकिन 8 अप्रैल को जब वह नोनाडांगा पर कब्ज़े के ख़िलाफ़ एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे थे तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। उनपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 4 अप्रैल को पुलिसवालों पर हमला किया है।

उनके साथ 6 और लोग उस दिन गिरफ़्तार किए गए जो अब न्यायिक हिरासत में हैं।

इससे वैज्ञानिकों का समुदाय सदमे और गुस्से में है। उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर रॉय की फौरन रिहाई की मांग की है।

चिट्ठी में लिखा गया है कि देश के सबसे ग़रीब और कमज़ोर लोगों से जुड़े मुद्दे उठाने की कोशिश कर रहे नागरिकों और मानवाधिकार कायकर्ताओं के दमन के लिए जिस तरह राज्य की ताकत का इस्तेमाल किया है उससे हम बुरी तरह आहत हैं।

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चिट्ठी में जाधवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्र का भी ज़िक्र है जिन्हें ममता बनर्जी का मज़ाक उड़ा रहे कार्टून को वितरित करने की वजह से एक रात पुलिस हिरासत में गुज़ारनी पड़ी। उनपर तृणमूल के लोगों ने हमला भी किया।