यह ख़बर 25 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने उठाया काले धन का मुद्दा

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

संसद में आज विपक्ष ने जोरशोर से काले धन का मुद्दा उठाया और सरकार को निशाने पर लेते हुए सवाल किया कि कालाधन वापस लाने का वादा कब पूरा किया जाएगा। हालांकि राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली और लोकसभा में संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने आश्वासन दिया कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।

संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आज दोनों सदनों में काले धन का मुद्दा उठाया गया। लोकसभा में इस मुद्दे पर हंगामे के कारण कार्यवाही कुछ देर के लिए बाधित भी हुई।

लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, राजद, सपा और आम आदमी पार्टी के सदस्य काले धन का मुद्दा उठाते हुए आसन के समक्ष आ गए। इन सदस्यों ने सवाल उठाया कि 100 दिन गुजर गए, कालाधन कहां है। इनमें से कुछ सदस्य काली छतरियां खोले हुए थे, जिन पर लिखा था ‘काला धन वापस लाओ’।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदस्यों के हंगामे के बावजूद शून्यकाल चलने दिया। उन्होंने सदस्यों से अपने स्थानों पर जाने की अपील करते हुए कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचारविमर्श के बाद वह सुनिश्चित करेंगी कि इस मुद्दे पर शीघ्र ही चर्चा हो।

राज्यसभा में भोजनावकाश के बाद सदन के नेता एवं वित्त मंत्री जेटली ने तृणमूल सदस्यों द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर कहा कि विपक्षी दल इस मामले पर चर्चा के लिए नोटिस दें तो सरकार चर्चा कराने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है और सभापति से विचारविमर्श कर इस मुद्दे पर चर्चा कराई जा सकती है।

लोकसभा में संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और वह इस पर चर्चा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने काले धन के मुद्दे पर पिछले छह माह में बहुत कुछ किया है। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा, हम सिर्फ चर्चा ही नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि काला धन वापस आए। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने कहा कि सरकार को माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान काले धन के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सहित भाजपा नेताओं ने संप्रग को ‘बदनाम’ किया था और 100 दिन में काला धन वापस लाने का वादा किया था।

नायडू ने इस पर कहा कि प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए विदेश गए हैं और ऐसे समय पर विपक्ष प्रधानमंत्री की आलोचना कर रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नेपाल गए हैं। भोजनावकाश के बाद भी इस मुद्दे पर तकरार होती रही। राज्यसभा में बैठक शुरू होते ही जदयू, सपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने काले धन का मुद्दा उठाया।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा, सरकार ने सदन के बाहर, काला धन वापस लाने के लिए कई बार आश्वासन दिया, लेकिन कोई काला धन वापस नहीं आया। इस मुद्दे पर बहुत उम्मीद हैं। इस मुद्दे पर कुछ रचनात्मक बहस होनी चाहिए। इस पर जेटली ने कहा कि सरकार भी इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहती है।

लोकसभा में नायडू ने कहा कि ज्यादातर कालाधन पिछले 50 साल में कांग्रेस के शासनकाल के दौरान देश से बाहर गया। उन्होंने कहा, हमारे समय में कोई काला धन नहीं गया। इससे पहले, सदन की बैठक शुरू होने पर कांग्रेस, राजद, आप और सपा सदस्यों ने काले धन का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में जवाब की मांग की कि काला धन कब वापस लाया जाएगा।

कुछ सदस्यों ने छतरियां भी दिखाईं। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि विरोध दर्ज कराने के लिए ऐसे तरीके अपनाने से बचना चाहिए।

खड़गे ने कहा कि उनकी पार्टी ने प्रश्नकाल निलंबित करने का नोटिस दिया है। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह नियमों के खिलाफ है, हालांकि वह नियमों के तहत काला धन के मुद्दे पर चर्चा कराना चाहती हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बगल में बैठे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर कुछ बोलना चाहा लेकिन उनकी बात सुनी नहीं जा सकी।

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प्रश्नकाल के दौरान हंगामे के बीच ही, दो प्रश्न हुए लेकिन उनके जवाब भी शोरगुल में सुने नहीं जा सके। तब लोकसभा अध्यक्ष ने बैठक 40 मिनट के लिए दोपहर तक स्थगित कर दी। बैठक दोबारा शुरू होने पर शून्यकाल आरंभ हुआ और तब भी काले धन का मुद्दा उठा।