यह ख़बर 03 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

सीमाएं फिर नहीं खींची जा सकती, समझे पाकिस्तान : अरुण जेटली

वित्तमंत्री अरुण जेटली की फाइल तस्वीर

श्रीनगर:

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान को समझना चाहिए कि भारत के साथ सीमाएं फिर नहीं खींची जा सकतीं और जम्मू-कश्मीर इस देश का अभिन्न अंग है।

जेटली ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा का भी जिक्र किया और कहा कि पड़ोसी नहीं बदले जा सकते, उनके साथ संबंध बदले जा सकते हैं।

भाजपा की तरफ से आयोजित नागरिक समाज सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, ‘‘हमारे पड़ोसी देश को समझना होगा कि वह कोई भी तरीका अपनाए इस देश का कोई हिस्सा हासिल नहीं कर सकेंगे। समय बदल गया है, जब देश की सीमाएं बदल सकती थीं। अब सीमाएं नहीं बदल सकतीं। सीमाएं जस की तस रहेंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक चीज मैं स्पष्ट करूंगा कि देश में रहने वाले सभी लोगों को जम्मू-कश्मीर को इस देश का अभिन्न अंग स्वीकार करना होगा।’’

जेटली ने दिल्ली-लाहौर बस से यात्रा कर पाकिस्तान पहुंचे वाजपेयी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को उम्मीद थी कि इस्लामाबाद इस पहल का संज्ञान लेगा।

जेटली ने कहा, ‘‘वाजपेयी ने पहल की जब वह बस से लाहौर गए। उन्होंने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया और पाकिस्तान में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा कि इतिहास बदल सकता है, भूगोल नहीं बदल सकता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पड़ोसी पड़ोसी रहेगा लेकिन उस देश से संबंध- अच्छे या बुरे - बदल सकते हैं। उस वक्त भी हमें उम्मीद थी कि पहल के बदले उसी तरह की प्रतिक्रिया आएगी।’’

पाकिस्तान का नाम लिए बगैर जेटली ने कहा कि अपनी नीतियों को लागू करने के लिए आतंकवाद का सहारा लेने से कोई लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि वैश्विक स्तर पर हिंसा स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए भारत ने भी अपनी क्षमता को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि भारत में विश्व की आबादी का छठवां हिस्सा रहता है और यह सैन्य एवं आर्थिक ताकत के रूप में उभरा है। आतंकवाद, उग्रवाद या हिंसा के प्रयोग से बदलाव नहीं हो सकता।

वित्तमंत्री ने कहा, ‘‘दो कारण हैं। जो लोग बंदूक का सहारा लेते हैं उन्हें समझना होगा कि पिछले कुछ दशक से बंदूक से निपटने की भारत की क्षमता बढ़ी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर भी कोई भी उन लोगों का समर्थन करने या सुनने को इच्छुक नहीं है जो बंदूक के बल पर कुछ हासिल करना चाहते हैं। हिंसा स्वीकार्य नहीं है।’’

अलगाववाद के रास्ते पर चलने वाले लोगों से वार्ता की संभावना को नकारते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र खुले दिल से ऐसे किसी भी व्यक्ति से वार्ता करने को तैयार है जो इस रास्ते को छोड़ता है।

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उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट होना चाहिए कि जो लोग भ्रमित किए जा रहे हैं और लौटना चाहते हैं (मुख्यधारा में), अलगाववाद का रास्ता छोड़ना चाहते हैं और देश को मजबूत करना चाहते हैं हम उनका स्वागत करते हैं।’’

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