यह ख़बर 27 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

आखिर अन्ना की मांगों पर संसद में बनी सहमति

खास बातें

  • गांधीवादी अन्ना हजारे की प्रभावी लोकपाल विधेयक बनाने के लिए शर्त के रूप में रखी गई तीन मांगों पर आखिरकार संसद भी शनिवार को सहमत हो गई।
नई दिल्ली:

गांधीवादी अन्ना हजारे की प्रभावी लोकपाल विधेयक बनाने के लिए शर्त के रूप में रखी गई तीन मांगों पर आखिरकार संसद भी शनिवार को सहमत हो गई। पिछले 12 दिनों से अनशन बैठे अन्ना हजारे मांगों पर सहमति जताते हुए संसद के दोनों सदनों ने इस सम्बंध में लाए गए प्रस्ताव को सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार कर लिया और उसे संसद की स्थायी समिति के समक्ष भेजने का आग्रह किया। इसके बाद ही अन्ना हजारे का अनशन खत्म करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। लोकसभा में लाए गए प्रस्ताव पर आधे घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बाद सदन के नेता व केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, "मैं समझता हूं कि सदन की भावना यह है कि वह सैद्धांतिक तौर पर राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति, लोकपाल के दायरे में सभी सरकारी कर्मचारियों को लाने और नागरिक चार्टर बनाने पर सहमत है।" मुखर्जी ने इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वह सदन की भावना के अनुरूप बनी सहमति के प्रस्ताव को स्थायी समिति को भेजें। मुखर्जी ने राज्यसभा में भी कमोबेश यही बातें दोहराई और उसके बाद सभापति से आग्रह किया कि सदन की भावना के अनुरूप बनी सहमति के प्रस्ताव को स्थायी समिति को भेजें। मुखर्जी ने इसके बाद अन्ना हजारे से अनशन तोड़ने का भी आग्रह किया। इसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार 11 बजे तक स्थगित कर दी गई। अन्ना ने अनशन तोड़ने के लिए जन लोकपाल विधेयक के तीन प्रमुख बिंदुओं -लोकपाल की तरह राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति, लोकपाल के दायरे में सभी सरकारी कर्मचारियों को लाने और नागरिक चार्टर- पर सदन में प्रस्ताव पारित करने को कहा था। सुबह 11 बजे लोकसभा में सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने यह कहते हुए कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र आज चौराहे पर खड़ा है, अन्ना के तीनों प्रमुख मुद्दों सहित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी लोकपाल के मुद्दे पर सदन में संवैधानिक दायरे में रहते हुए व्यावहारिक और निष्पक्ष चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद सुषमा स्वराज ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए अन्ना हजारे के मांगों पर सहमति जताई और कहा, "अगर लोकपाल के दायरे में निचले स्तर के कर्मचारियों को नहीं लाया जाएगा, तो आम नागरिक अपने को ठगा महसूस करेगा।" इसके अलावा सुषमा ने लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को लाने का भी समर्थन किया। उन्होंने न्यायपालिका में पारदर्शिता के लिए अलग व्यवस्था का समर्थन किया। जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) के नेता शरद यादव ने तीनों प्रमुख मुद्दे पर अपना समर्थन व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने अन्ना हजारे के सहयोगियों को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि वे अपनी वाणी को नियंत्रित रखें। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों का मजाक उड़ाने पर उन्हें बदले की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित ने अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार निरोधी प्रभावी लोकपाल विधेयक से सम्बंधित तीन मुख्य मांगों का सशर्त समर्थन किया। नागरिक चार्टर बनाने पर उन्होंने कहा कि सरकार इसे भी भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र में शामिल करने की कोशिश कर रही थी। निचले दर्जे के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने पर दीक्षित ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आम आदमी इन्हीं कर्मचारियों के जरिए सरकार से जुड़ता है। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता बासुदेव आचार्य ने कहा कि उनकी पार्टी एक 'मजबूत और प्रभावी' लोकपाल विधेयक चाहती है और यह भी चाहती है कि कारपोरेट जगत के भ्रष्टाचार को इसके दायरे में लाया जाए। आचार्य ने कहा, "भ्रष्टाचार का कारपोरेट जगत, राजनेताओं और नौकरशाही से गठजोड़ है। पिछले राष्ट्रमंडल खेल के सिलसिले में हमने देखा किस तरह भ्रष्टाचार हुआ। इस गठजोड़ को तोड़ने की जरूरत है।" राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद कहा कि अनशन पर बैठे गांधीवादी अन्ना हजारे को पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी सहित उनके सहयोगी गुमराह कर रहे हैं। बेदी की नजर आगामी आम चुनावों पर है। उन्होंने कहा, "हम संसद की सर्वोच्चता को एक इंच भी इधर से उधर करने की अनुमति नहीं देंगे। अन्ना हजारे जिन लोगों से घिरे हैं वे लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं। केजरीवाल हमें सिखा रहे हैं। उन्हें बताया जाए कि स्थायी समिति छोटी संसद है।" कुछ ऐसी ही स्थिति राज्यसभा में थी। यहां भी मुखर्जी के भाषण से चर्चा की शुरुआत हुई। विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के समर्थन में सामने आए लोगों की संख्या से स्पष्ट संकेत मिलता है कि लोग वर्तमान व्यवस्था से खुश नहीं हैं। माकपा के सीताराम येचुरी ने राज्यसभा में कहा, "अन्नाजी द्वारा रखी गईं तीन मांगों पर हम सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं। इन मांगों को लोकपाल विधेयक में शामिल किया जाए, लेकिन इन्हें भारतीय संविधान के अनुसार लागू किया जाए।" उन्होंने कहा कि देश के संघीय ढांचे को छेड़ा नहीं जाना चाहिए।


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