आदिवासी युवाओं को 'बंदूक' की जगह हॉकी स्टिक थामने के लिये प्रेरित करना मकसद : दिलीप टिर्की

आदिवासी युवाओं को 'बंदूक' की जगह हॉकी स्टिक थामने के लिये प्रेरित करना मकसद : दिलीप टिर्की

दिलीप टिर्की का फाइल फोटो...

नई दिल्‍ली:

कभी भारतीय हॉकी की दीवार कहे जाने वाले डिफेंडर दिलीप टिर्की नक्सलवाद की राह पर जा रहे आदिवासी युवाओं को बंदूक की बजाय हॉकी स्टिक थामने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और कभी हॉकी की नर्सरी रहे इलाके में इसी प्रयास के तहत दुनिया का संभवत: सबसे बड़ा ग्रामीण हाकी टूर्नामेंट इस सप्ताह शुरू होगा.

पूर्व कप्तान टिर्की ने कहा, 'बीजू पटनायक ग्रामीण हॉकी टूर्नामेंट अपने आप में अनूठा टूर्नामेंट होगा, जिसमें अभी तक 1300 टीमें भागीदारी की पुष्टि कर चुकी हैं. ये टीमें ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड के ग्रामीण इलाकों से हैं जो कभी हॉकी की नर्सरी हुआ करता था. मुझे नहीं लगता कि दुनिया में इस पैमाने पर इतना बड़ा कोई हॉकी टूर्नामेंट कभी हुआ होगा. यह 10 दिसंबर को राउरकेला में शुरू होगा और विभिन्न शहरों में मैचों के बाद मार्च में फाइनल्स खेले जाएंगे'. उन्होंने बताया कि युवाओं को नक्सलवाद की राह पर जाने से रोकना और हॉकी का क्रेज बनाए रखना इस आयोजन के पीछे उनकी प्रेरणा बना.

राज्यसभा में बीजद के सदस्य टिर्की ने कहा, 'निजी खनन कंपनियों के शोषण, जंगलों की कटाई और इन इलाकों में सुविधाओं से वंचित युवा नक्सलवाद की राह अपना लेते हैं. हमारा मकसद उन्हें बंदूक की जगह हॉकी स्टिक थामने के लिये प्रेरित करना है ताकि सकारात्मक माहौल बन सके. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इन इलाकों में हाकी को लेकर कितना क्रेज है. बस हमारा प्रयास उसे पुनर्जीवित करने का है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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