यह ख़बर 10 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

प्रधानमंत्री ने कहा, चर्चा तक इंतजार करें सुब्रह्मण्यम

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महाधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम से कहा कि वह उनके इस्तीफे पर अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ चर्चा करेंगे।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को महाधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम से कहा कि वह उनके इस्तीफे पर अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री ने तब तक उन्हें इंतजार करने के लिए कहा है। सुब्रह्मण्यम ने शनिवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी। सुब्रह्मण्यम ने देश के दूसरे सबसे अहम कानून अधिकारी के पद से इस्तीफा देने की शनिवार को पेशकश की थी। सुब्रह्मण्यम जाहिर तौर पर केंद्रीय संचार मंत्री कपिल सिब्बल से खफा हैं, क्योंकि उन्होंने 2जी मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सरकार की पैरवी के लिए उनके बदले वरिष्ठ अधिवक्ता रोहिंगटन नरीमन की नियुक्ति की है।  सुब्रह्मण्यम ने शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से पूछा कि वह अपना इस्तीफा किसे सौंपे क्योंकि केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने उनका इस्तीफा लेने से इनकार कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुब्रह्मण्यम से तब तक इंतजार करने के लिए कहा जब तक कि वह अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से इस मसले पर चर्चा नहीं कर लेते। सुब्रह्मण्यम ने रविवार को पत्रकारों से कहा कि उन्होंने 'कार्यालय की गरिमा' बनाए रखने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सिब्बल द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक दूसरे वकील की नियुक्ति किए जाने पर सुब्रह्मण्यम ने कहा, "मुझे लगता है यह निष्पक्ष नहीं है।" सूत्रों ने यह भी बताया कि सुब्रह्मण्यम ने शनिवार को बेंगलुरू में मौजूद मोइली से बात की थी। मोइली ने हालांकि उन्हें अपने इस्तीफे पर दोबारा विचार करने के लिए कहा। ज्ञात हो कि सुब्रह्मण्यम ने रविवार सुबह राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात की लेकिन इस बैठक को एक शिष्टाचार भेंट बताया गया। खबर है कि महान्यायवादी गूलम वाहनवती और महाधिवक्ता के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं। दोनों के बीच रिश्तों में खटास स्पष्ट रूप से उस समय सामने आया, जब मामले की सुनवाई के दौरान सुब्रह्मण्यम ने दोनों के बीच रिश्तों में कड़वाहट के बारे में एक अखबार में प्रकाशित रपट का संदर्भ दिया। सिब्बल द्वारा 2जी घोटाला मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए रोहिंगटन नरीमन की नियुक्ति करना, इस बात के संकेत के रूप में लिया गया है कि सरकार के एक महत्वपूर्ण मंत्री को सुब्रह्मण्य पर भरोसा नहीं है। नरीमन, सर्वोच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली की पीठ के समक्ष सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दायर जनहित याचिका के विरुद्ध सिब्बल का पक्ष प्रस्तुत करेंगे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिब्बल ने बतौर केंद्रीय संचार मंत्री मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली एक कम्पनी का पक्ष लिया, जोकि 2जी घोटाले में फंसी हुई है।


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