यह ख़बर 01 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

एफडीआई पर फैसला वापस लेना मुश्किल : मनमोहन

खास बातें

  • सिंह ने अपने सहयोगी दलों से कहा कि इस फैसले को वापस लेना मुश्किल होगा और यदि इस मुद्दे पर कोई मत विभाजन हो तो सहयोगियों को सरकार के पक्ष में मतदान करना चाहिए।
New Delhi:

खुदरा एफडीआई को लेकर संसद में गतिरोध गहराने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को अपने सहयोगी दलों से कहा कि इस फैसले को वापस लेना मुश्किल होगा और यदि इस मुद्दे पर कोई मत विभाजन हो तो सहयोगियों को सरकार के पक्ष में मतदान करना चाहिए। इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव की मांग पर पूरा विपक्ष एकजुट है। सिंह और संप्रग के संकटमोचक माने जाने वाले प्रणव मुखर्जी ने संभवत: सहयोगी दलों से कहा है कि आर्थिक हालात काफी मुश्किल हैं और जीडीपी विकास दर को लेकर कई चिन्ताएं हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय के मुताबिक सिंह और मुखर्जी ने सहयोगी दलों के नेताओं से कहा है कि यह फैसला कैबिनेट ने मुश्किल हालात में लिया था और इससे हटना मुश्किल होगा। फैसले को वापस लेने पर अड़ी तृणमूल के संसदीय दल के नेता बंदोपाध्याय ने हालांकि कहा कि उनकी पार्टी नहीं चाहती है कि सरकार गिरे। शीतकालीन सत्र में शुरूआती आठ दिन हंगामे की भेंट चढ़ गये। हालांकि सरकार और कांग्रेस ने उम्मीद जतायी है कि सत्ताधारी गठबंधन के पास संख्या बल की कमी नहीं है और उसने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्ष को चुनौती भी दी है। कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों के बीच के एक सूत्र ने हालांकि कहा कि मुखर्जी, जो लोकसभा के नेता भी हैं, ने उन्हें बताया है कि निन्दा प्रस्ताव अविश्वास प्रस्ताव नहीं है लेकिन यदि ये पारित हो जाए तो सरकार की विश्वनीयता पर गहरी चोट पहुंचती है। तृणमूल, द्रमुक, राकांपा, नेशनल कांफ्रेंस और आईयूएमएल के नेताओं ने प्रधानमंत्री द्वारा इस मसले पर चर्चा के लिए बुलायी गयी बैठक में शिरकत की। तृणमूल और द्रमुक ने खुदरा एफडीआई की नीति का विरोध जारी रखा है और सरकार से इस संबंध में लिये गये फैसले को वापस लेने के लिए कहा है। वे इस मुद्दे पर संसद में चर्चा भी चाहते हैं। द्रमुक हालांकि अपने रूख में कुछ नरमी लाता दिख रहा है। पार्टी नेता टी आर बालू ने संभवत: प्रधानमंत्री से कहा है कि यदि मत विभाजन हुआ तो वह पार्टी प्रमुख एम करूणानिधि से इस बारे में सलाह मशविरा कर पार्टी के रूख से सरकार को अवगत कराएंगे। दिलचस्प बात है कि इस मुद्दे पर पहले कडा बयान देने वाले करूणानिधि ने कल संवाददाताओं से कहा कि जब यह मसला सामने आएगा तो कार्य स्थगन प्रस्ताव पर कैसे वोट करना है, पार्टी तय करेगी। बंदोपाध्याय ने कहा कि सहयोगी दल बडी पार्टियों को सुझाव देते हैं क्योंकि यह केवल कांग्रेस की नहीं बल्कि गठबंधन की सरकार है। इस बीच एक फार्मूले की भी बात चल रही है, जिसके मुताबिक सहयोगी दल संसद में सरकार का समर्थन करेंगे लेकिन स्पष्ट करेंगे कि वे अपने शासन वाले राज्यों में इस नीति को लागू नहीं करेंगे। ऐसी खबरें भी हैं कि यदि मत विभाजन हुआ तो तृणमूल के सांसद शायद सदन से अनुपस्थित रहें लेकिन द्रमुक और तृणमूल नेताओं ने इस बारे में पूछे गये सवालों को टाल दिया। उधर संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने विश्वास जताया कि सरकार के पास बहुमत है। मुझे यकीन है कि सरकार के पास बहुमत है। मौका आएगा तो आप देखेंगे। उन्होंने हालांकि इस मुद्दे पर किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने विपक्ष को चुनौती दी कि यदि उसे लगता है कि सरकार के पास अपेक्षित बहुमत नहीं है तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाकर दिखाए।


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