उत्तर पूर्व विकास : मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पिछड़ी परियोजना को पीएम मोदी ने पूरा किया

उत्तर पूर्व विकास : मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पिछड़ी परियोजना को पीएम मोदी ने पूरा किया

गुवाहाटी:

उत्तर पूर्व भारत के तमाम इलाकों में लोग लंबे समय से ट्रेन के आने का सपना संजोए बैठे थे। कुछ जगहों पर छोड़कर इस पूरे इलाके में ट्रेन की सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही थी। लेकिन हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुवाहाटी सिल्चल पैसेंजर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और अब यह ट्रेन यहां के लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गई है।

देवजानी धर नाम की एक लड़की जो अब इस ट्रेन का इस्तेमाल कर रही है, कहती है कि सफर सुहाना हो गया है और आरामदायक भी हो गया है। इलाके में सड़कों का जाल तो है लेकिन सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है। बस से सफर न केवल महंगा था बल्कि यात्रा के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अब ट्रेन के सफर में नजारों के आनंद के साथ आराम का एहसास होता है।
 


लुमडिंग-सिल्चर के मार्ग का चौड़ीकरण किया गया
नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (एनएफआर) के तहत लुमडिंग-सिल्चर के मार्ग का चौड़ीकरण किया गया है। यह मार्ग 215 किलोमीटर लंबा है। नवंबर में इसे आम नागरिकों के लिए खोल दिया गया था।

1996 में रेलवे ने इस मार्ग के चौड़ीकरण का फैसला किया था
उत्तरी काचर हिल्स से होते हुए यह ट्रेन गुजरती है और इस सफर में काफी मनोरंजक दृश्य देखने को मिलते हैं। कुछ जगहों पर तो सांसें भी थम जाती हैं। 1996 में रेलवे ने इस मार्ग के चौड़ीकरण का फैसला किया था। आरंभ में इसे ब्रिटिश शासन काल के दौरान बनाया गया था। तब से लगातार यह मीटर गेज पर ही चलती आ रही थी।
 

मनमोहन सिंह ने बढ़ाया बजट
इस इलाके में आतंकवाद के चलते काम प्रभावित हुआ और योजना को पूरा होने में काफी समय लग गया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो राज्यसभा में असम से आते थे, ने इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना बनाया और इसका का बजट भी बढ़ाया। लेकिन, रेलवे का कहना है कि इस परियोजना में सबसे ज्यादा काम पिछले दो सालों में किया गया। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के काम में उत्तर पूर्व में ट्रेन सेवा के विस्तार को प्रमुखता से दर्शा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शिलॉन्ग में घोषणा की थी कि उनकी सरकार बनने के बाद से उत्तर पूर्व में रेल यात्रा विस्तार के लिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए हैं। उन्होंने तीन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर आम लोगों के लिए खोला था।

सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
इलाके के भौगोलिक हालातों को देखते हुए इस रेल कनेक्टीविटी पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। इलाके में पहाड़ियों के चलते, भारी बारिश के चलते, भूस्खलन के चलते  सुरक्षा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। एनएफआर के जीएम एच के जग्गी ने कहा, हमारी टीमें है जो सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेती रहती हैं। वे लगातार तमाम इलाकों का दौरा करती रहती हैं।

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