दादी मां के नुस्खे सुझाए, फिर बोले पीएम मोदी, 'अब मेरा मजाक उड़ेगा'

नई दिल्ली:

आज मौका तो था दो दिवसीय पर्यावरण सम्मेलन का आगाज करने का लेकिन पीएम ने इस दौरान विकसित देशों को आडे़ हाथों लेते हुए कहा कि हम तो बजपन से ही ऊर्जा बचाते आए हैं और हमें दूसरे देश इस बारे में क्या बताएंगे। पीएम ने पर्यावरण पर अपनी बातें रखने के बाद यह भी जोड़ दिया कि मेरे बोल चुकने के बाद मेरा मजाक बनाया जाएगा। वह बोले, टीवी पर अब मनोरंजन होगा।

पीएम ने कहा कि गुजरात के लोग जो आम खाते हैं, उसे भी री-साइकल कर देते हैं। ऊर्जा बचाने के लिए चांदनी रात में सुई में धागा डालने जैसे सुझावों के साथ पीएम ने ऐसे कई दादी मां के नुस्खे सुझाए।

प्रधानमंत्री ने आज विज्ञान भवन में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स भी लॉन्च किया। अभी 10 बड़े शहरों के लिए यह लॉन्च किया गया है। लेकिन, सितंबर तक 46 और शहर जुड़ जाएंगे। 10 लाख की आबादी वाले शहरों के लिए यह लॉन्च किया गया है।

पीएम ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा-

  • हफ्ते में 1 दिन साइकिल का प्रयोग करें।
  • पूर्णिमा की रात को लाइट बंद करनी चाहिए।
  • जहां उपभोग ज्यादा, वहां प्रकृति को नुकसान ज्यादा होता है।
  • हमें चांदनी रात की खबर नहीं होती और हम प्रकृति से पूरी तरह कट गए हैं...।
  • गांवों में चांदनी रात में दादी बच्चों को सूई में धागा डालना सिखाती थी और यह परंपरा थी। अब नई पीढ़ी को चांदनी रात का अहसास नहीं है। अगर शहर तय कर लें कि पूर्णिमा की रात को स्ट्रीट लाइट नहीं जलाएंगे और पूरे मोहल्ले में सूई में धागा डालने का त्योहार मनाया जाएगा, तो इससे काफी ऊर्जा बचाई जा सकती है।
  • प्रकृति को लेकर हम संवेदनशील है,  इस बाबत दुनिया हम पर उंगली नहीं उठा सकती।
  • पौधे में जीवन है, यह बात तो हम सहस्त्रों सालों से मानते आए हैं।
  • रीसाइकिल की बड़ी चर्चा है .. हम तो यही करते आए हैं..।
  • हम अपनी लाइस्टाइल बदलने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि हम सदियों से प्रकृति की रक्षा करते हुए आगे बढ़े हैं।
  • घर में दादी मां पुराने कपड़ों से रात को बिछाने के लिए गद्दी बनाया करती थीं। जब यह गद्दी बेकार हो जाती, झाड़ू-पोछा के लिए उस कपड़े का इस्तेमाल किया जाता।
  • ग्लोबलवार्मिंग को रास्ता नहीं मिल रहा है, प्रयास बाहरी कर रहे हैं।
  • आज भी प्रति व्यक्ति कार्बन एमिशन में कम से कम कंट्रीब्यूशन हमारा है।
  • गंगा की अपनी ताकत भी है सफाई की। शहर का पानी साफ हो और सिंचाई के लिए मिले।
  • गुजरात के लोग आम खाते हैं, लेकिन वे आम को भी इतना री-साइकल कर लेते हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता है।

  • कचरे की रीसाइकलिंग जरूरी है और गांव के लिए पानी की रीसाइकलिंग कर सकते हैं शहर वाले।

  • वेस्ट (waste) से वेल्थ निकालनी होगी। वेस्ट के साथ प्रयोग कर नया बिजनस खड़ा हो।

  • शहरी जनसंख्या प्रकृति से कट गई है। पानी के लिए गांव शहर में संघर्ष हो सकता है। पानी का सही इस्तेमाल जरूरी है.. इसके लिए सहज समझ ही जरूरी है।

  • प्रकृति के लिए हमें और सजग रहना होगा। इसके लिए हमें सौर ऊर्जा पर बल देने की जरूरत है।


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