चीन के लिए रवाना हुए पीएम मोदी, रिश्तों को मजबूत बनाने की होगी कोशिश

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार रात तीन दिवसीय चीन यात्रा के लिए रवाना हो गए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनकी इस यात्रा से परस्पर विश्वास प्रगाढ़ होगा, द्विपक्षीय आर्थिक रिश्तों को उन्नत बनाने के लिए एक रूपरेखा तैयार होगी और यह एशिया एवं विकासशील देशों के लिए 'नया मील का पत्थर' साबित होगी।

प्रधानमंत्री के तौर पर चीन की अपनी पहली यात्रा पर जा रहे मोदी शिखर सम्मेलन के लिए सामान्य प्रोटोकॉल से हटकर एक असाधारण कदम के तहत गुरुवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के गृह शहर, प्राचीन नगरी शियान पहुंचेंगे। पिछले साल सितंबर में भारत दौरे के दौरान मोदी ने भी चीनी नेता का अहमदाबाद में स्वागत किया था।

अपने दौरे के पहले प्रधानमंत्री ने चीनी मीडिया से कहा, 'मैं चीन के अपने दौरे के लिए आशान्वित हूं... 21वीं सदी एशिया की है।' वह चीन के बाद मंगोलिया और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर भी जाएंगे।

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि उनके दौरे से भारत-चीन का संबंध 'और मजबूत' होगा और एशिया तथा विकासशील देशों के लिए 'नया मील का पत्थर' साबित होगा। उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर और वरिष्ठ अधिकारी भी गए हैं।

अपने दौरे के पहले चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी से मोदी ने कहा, 'मेरा मानना है कि चीन के मेरे दौरे से केवल चीन-भारत दोस्ती ही मजबूत नहीं होगी, बल्कि यह दौरा एशिया में विकासशील देशों के साथ ही दुनिया भर में रिश्तों के लिए नया मील का पत्थर होगा। इसमें जरा भी संदेह नहीं है।'

मोदी ने कहा कि वह इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं कि भारत और चीन कैसे परस्पर विश्वास एवं भरोसे को आगे मजबूत कर सकते हैं ताकि संबंध की पूर्ण क्षमता का दोहन हो सके। उन्होंने कहा, 'मैं हमारे आर्थिक संबंधों को गुणात्मक रूप से उन्नत बनाने के लिए रूपरेखा तैयार करने और बदलते भारत की आर्थिक प्रगति खासकर विनिर्माण क्षेत्र एवं बुनियादी ढांचे के विकास में चीन की व्यापक भागीदारी को लेकर उत्सुक हूं।'

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि भारत और चीन के बीच संबंध इस सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से हो सकते हैं। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, मोदी ने कहा, 'मैं इसको लेकर बुनियाद रखने के लिए चीन के नेतृत्व के साथ काम करने का इच्छुक हूं।' उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने हालिया वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों में बड़ी प्रगति की है और धर्य व परिपक्वता के साथ अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश की है।

सीमा मुद्दे और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में चीन की योजना जैसे मुद्दों के बीच मोदी के लिए चीन के नेतृत्व के साथ मुलाकात करने के समय कठिन काम होगा।

मोदी ने जिक्र किया कि उन्होंने पिछले एक साल में राष्ट्रपति शी से तीन बार मुलाकात की और कई मुद्दों पर समग्र बातचीत की। दो साल पहले शी के सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका है, जब वह बीजिंग के बाहर किसी विदेशी नेता का स्वागत करेंगे और मोदी के साथ अनौपचारिक तौर पर संवाद के लिए इतना वक्त गुजारेंगे।

शी ने इससे पहले जिस दूसरे नेता के साथ इस तरह टहलकर वक्त बिताया, वह बराक ओबामा थे। उनसे वह एपेक सम्मेलन के दौरान मिले थे। अमेरिकी राष्ट्रपति को वह बीजिंग में इंपेरियल गार्डन जोजानहाई ले गए जहां पर चीन का नेतृत्व रहता है। बहरहाल, दोनों देश जिन बातों पर गौर करेंगे, उसमें सीमा विवाद से लेकर भारत के चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को चीन का समर्थन भी शामिल है।

शी अपने गृहनगर शियान में मोदी के साथ वार्ताओं के अलावा उन्हें प्रसिद्ध वाइल्ड गूज पैगोडा भी लेकर जाएंगे। वाइल्ड गूज पैगोडा की स्थापना बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने में बौद्ध भिक्षु ह्वेन सांग के योगदान के प्रतीक के रूप में छठी शताब्दी में की गई थी। दोनों नेताओं के भोज से पहले पारंपरिक चीनी शाही तांग राजवंश मोदी का स्वागत करेगा। दोनों नेताओं के बीच सीमा संबंधी मसलों, चीन की समुद्री रेशम मार्ग (एमएसआर) परियोजना और भारत में चीनी निवेशों के मुद्दों पर बात होगी। मोदी शियान से बीजिंग जाएंगे, जहां वह प्रधानमंत्री ली क्विंग से द्विपक्षीय संबंधों पर वार्ता करेंगे।

विदेश सचिव एस जयशंकर ने यात्रा की पूर्व संध्या पर कहा, 'द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय मामलों, बहुपक्षीय मामलों समेत सभी राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। केवल राजनीतिक ही नहीं बल्कि आर्थिक मामलों पर भी बात की जाएगी। इस दौरान व्यापार, आपसी सहयोग वाली ढाचांगत परियोजनाओं पर निवेश और मुझे लगता है कि लोगों के बीच संपर्क संबंधी व्यापक मुद्दों पर भी बात की जाएगी।' दोनों पक्ष व्यापार, निवेश और अन्य विविध क्षेत्रों में सहयोग को बढावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी के बीजिंग में रहने के दौरान भारत-चीन राज्य एवं प्रांतीय नेताओं के फोरम की पहली बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल भाग लेंगी।

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यात्रा के दूसरे चरण में वह 17 मई को मंगोलिया पहुंचेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मंगोलिया यात्रा होगी। इसके बाद तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री दक्षिण कोरिया जाएंगे, जहां वह राष्ट्रपति पार्क ग्यून हाय से मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के नेता दोहरे कराधान से बचाव की संधि, नौवहन, परिवहन, राजमार्गों और विद्युत विकास समेत कई क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। वह वहां भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी 19 मई को सोल से दिल्ली लौटेंगे।