डिजिटल हुई रामचरित मानस, पीएम मोदी ने लॉन्‍च किया डिजिटल वर्जन

डिजिटल हुई रामचरित मानस, पीएम मोदी ने लॉन्‍च किया डिजिटल वर्जन

नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रामचरित मानस के स्पेशल डिजिटल वर्ज़न को लॉन्च किया। इस अवसर पर उन्‍होंने कहा कि रामचरित मानस का हमारे जीवन में अहम योगदान है। ऑल इंडिया रेडियो ने रामचरित मानस का ये ख़ास वर्ज़न तैयार किया है। पीएम ने कहा, कभी-कभी सरकारी जिंदगी एक ही ढर्रे पर चलने लगती है। वही काम, वहीं बॉस। 14 लोगों ने कई सालों तक इस डिजिटल संस्करण के लिए काम किया है।

पीएम ने आगे कहा, हमारे पारिवारिक मूल्यों की पूरी दुनिया में तारीफ की जाती है, कई लोग इससे जलते भी हैं। रामचरित मानस इन्हीं मूल्यों की बात करता है। हजारों सालों से जो हमारी व्यवस्था है वो है हमारी परिवार व्यवस्था।
सौ साल पहले जब लोग मजदूरी करने सात समंदर पार जाया करते थे तो अपने साथ रामचरित मानस लेकर जाते थे, जो उन्हें अपने देश से जोड़कर रखती थी।

प्रधानमंत्री के मुताबिक आकाशवाणी की ताकत बहुत बड़ी है। कुछ मूलभूत चीज़ें हैं, जिनकी ताकत कभी नहीं घटती। कुछ लोग सोचते हैं, क्यों नहीं मिटती हमारी हस्ती, रामचरित मानस ने बनाकर रखी है हमारी हस्ती।

बताया जा रहा है कि डिजिटल रामायण पर 1980 में भोपाल के दूरदर्शन केंद्र में काम शुरू किया गया था जो कि 1992 तक चला, लेकिन बाद में किसी कारण वश इसे रोक दिया गया। इतने सालों बाद एक बार फिर इस प्रोजके्ट पर काम शुरू किया गया और अब इसे ऑलइंडिया रेडियो ने रिलीज किया है। डिजिटल रामायण को तैयार करने में 12 साल लगे हैं। इसमें 14 गायकों ने 62 घंटे तक रिकॉर्डिंग की है जिनमें महेंद्र कपूर, मन्ना डे, अनुराधा पौड़वाल और कविता कृष्णामूर्ति जैसे प्रसिद्ध कलाकार शामिल हैं।

ऑल इंडिया रेडियो से जुड़ी अपनी पुरानी याद को साझा करते हुए पीएम ने कहा 'कई सालों पहले मैं हिमालय गया था, जहां एक चाय बेचने वाले ने कहा ‘मिठाई खाइए, अटलजी ने बम फोड़ा है।’ मुझे हैरानी हुई कि इतनी दूर बैठे उसे यह कैसे पता चला। यह आकाशवाणी का जादू था, जिसने पूरे देश को जोड़कर रखा है।'

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कार्यक्रम के दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली, कई अन्‍य वरिष्‍ठ नेता एवं गणमान्‍य लोग मौजूद थे।
रामचरित मानस की चौपाइयों एवं दोहे को भोपाल घराने के जाने माने गायकों ने आवाज दी है। आकाशवाणी भोपाल ने 1980 में तत्कालीन केंद्र निदेशक समर बहादुर सिंह के मार्गदर्शन में पहली बार ‘रामचरितमानस’ को स्वरबद्ध किया था और रिकॉर्ड किया था।