यह ख़बर 30 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पीएम मोदी मिले शिंजो आबे से, वाराणसी और क्योटो के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर करार

क्योटो / नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे पर आज दोनो देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके मुताबिक क्योटो शहर के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 'स्मार्ट सिटी' के रूप में विकसित किया जाएगा।

साझीदार शहर संबंधी सहमति पत्र पर भारतीय राजदूत दीपा वाधवा और क्योटो शहर के मेयर दाईसाका कोदोकावा ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो एबे मौजूद थे। मोदी के पांच दिवसीय जापान दौरे पर पहुंचने के तत्काल बाद दोनों देशों ने इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं से कहा कि इस समझौते के तहत धरोहर के संरक्षण में सहयोग, शहर के आधुनिकीरण तथा कला, संस्कृति एवं शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग की बातें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच स्मार्ट प्राचीन शहर कार्यक्रम के लिए एक रूपरेखा का काम करेगा।

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क्योटो जापान में बौद्ध संस्कृति से जुड़ा एक प्राचीन शहर है जो प्रधानमंत्री के इस दौरे का विशेष प्रतीक है, क्योंकि मोदी भारत के शहरों का कायाकल्प करने का इरादा रखते हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा है और इस यात्रा से भारत को काफी उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री अपनी इस यात्रा के दौरान परमाणु करार और बुलेट ट्रेन पर अहम समझौतों को अंजाम दे सकते हैं। साथ ही 85 अरब डॉलर के व्यापारिक समझौतों की भी उम्मीद जताई जा रही है।

अपनी इस यात्रा के महत्व को रेखांकित करते हुए 'उत्साहित' मोदी ने जापान यात्रा की पूर्व संध्या पर कहा कि भारत के विकास और तरक्की के उनके दृष्टिकोण में जापान बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

भारत में 100 स्मार्ट सिटी के निर्माण की अपनी परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए जापान के अनुभवों को देखने के लिए प्रधानमंत्री अपनी जापान यात्रा के पहले चरण में जापान की स्मार्ट सिटी क्योटो की यात्रा करेंगे। दोनों नेताओं के बीच 1 सितंबर को टोक्यो में महत्वपूर्ण शिखर बैठक होगी।

इस दौरान दोनों पक्ष सामरिक और वैश्विक भागीदारी को आगे बढ़ाने के उपायों पर गौर करेंगे। विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को लेकर कहा है कि भारत को इस यात्रा से 'बड़ी उम्मीदें' हैं। दोनों पक्षों के बीच शीर्ष स्तर की वार्ता के दौरान रक्षा, असैन्य परमाणु, ढांचागत विकास और पृथ्वी की दुर्लभ खनिज संपदा के क्षेत्र में सहयोग जैसे मुद्दे विचार-विमर्श के लिए एजेंडे पर शीर्ष पर रहने की संभावना है।

इस दौरान रक्षा और असैन्य परमाणु क्षेत्रों सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की भी उम्मीद है। इनमें से एक समझौता दुर्लभ खनिज संपदा के संयुक्त उत्पादन से संबंधित है। मोदी ने जापान यात्रा पर रवाना होने से पूर्व अपने बयान में कहा, अपने अच्छे मित्र प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निमंत्रण पर मैं भारत और जापान के बीच वार्षिक शिखर बैठक के लिए उत्सुकता से अपनी जापान यात्रा का इंतजार कर रहा हूं।