यह ख़बर 15 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

भ्रष्टाचार के खिलाफ सामूहिक प्रयास जरूरी : प्रधानमंत्री

खास बातें

  • प्रधानमंत्री ने 65वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा कि भ्रष्टाचार की लड़ाई एक बड़े कदम से नहीं, बल्कि सामूहिक सहयोग से जीती जा सकती है।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को 65वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार की लड़ाई किसी एक बड़े कदम से नहीं, बल्कि सभी के सामूहिक सहयोग से जीती जा सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार देश के लिए, सरकार के लिए चिंता का गम्भीर विषय बन गया है। लेकिन किसी एक बड़े कदम से भ्रष्टाचार को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए हम सख्त कदम उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं, कई लोगों के नाम उसमें सामने आए हैं। हम इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते, क्योंकि मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। हम इस मुद्दे पर गहन विचार कर रहे हैं। लेकिन इस मुद्दे पर विचार करते समय हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे कि देश की प्रगति प्रभावित हो। सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कानून व्यवस्था को चुस्त करना है। सही न्याय होने से अधिकारियों में भय पैदा होगा और वे गलत काम करने से डरेंगे। सिंह ने कहा कि हम इसीलिए लोकपाल कानून बना रहे हैं। कुछ लोगों को इसमें शामिल कुछ प्रावधानों से असहमति है। वे अपनी असहमति को संसद और मीडिया को बता सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें अनशन और भूख हड़ताल नहीं करना चाहिए। सिंह ने कहा कि हम न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने के खिलाफ हैं। इससे उसकी आजादी छिन जाएगी। लेकिन न्यायापालिका की भी जवाबदेही है और उसके लिए हम एक जवाबदेही विधेयक ला रहे हैं।  उन्होंने आगे कहा कि देश के लिए बहुत कुछ किया गया है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के कुछ जिलों में कई सारी चुनौतियां हैं, जिससे हमें निपटना है, वहां की समस्याओं को सुलझाना है। हम अपने देश के किसानों, मजदूरों और जवानों की मेहनत को जाया नहीं जाने देंगे। हमने सामाजिक मोर्चे पर काफी कुछ किया है। सामाजिक असमानता मिटाने के लिए कई काम किए गए हैं। 


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