पीएम मोदी रक्षा बंधन पर बोले, लेकिन रमज़ान पर क्यों नहीं? - गुलाम नबी आजाद

पीएम मोदी रक्षा बंधन पर बोले, लेकिन रमज़ान पर क्यों नहीं? - गुलाम नबी आजाद

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने रविवार को बड़ा हमला बोला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि ये अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में रक्षा बंधन का ज़िक्र किया। देश में 15-20 करोड़ मुसलमान भी रहते हैं और रमज़ान चल रहा है। पीएम इसका भी ज़िक्र कर कहते कि मिल कर ईद मनाएंगे। फिर दिवाली आएगी तो मिल कर दिवाली नाएंगे। क्रिसमस आएगी तो क्रिसमस मनाएंगे। लेकिन पीएम सिर्फ चुनिंदा होकर ध्रुवीकरण करना चाहते हैं।

आज़ाद प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम में कही गई उस बात ज़िक्र कर रहे थे, जिसमें मोदी ने रक्षा बंधन के मौके पर घर में बरतन धोने वाली या खेतों में काम करने वाली महिला मज़दूरों को जनसुरक्षा योजना तोहफे में देने की बात कर रहे थे। आज़ाद का कहना है कि ये देश की संस्कृति में है कि हिंदू बहन मुसलमान भाइयों को भी राखी बांधती हैं। लेकिन ये मोदी की राजनीति को सूट करता है कि वे सिर्फ एक धर्म को लेकर चलने की बात करें।

कांग्रेस ने पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम में कही गई बातों का चुन- चुन कर जवाब दिया। आज़ाद ने मोदी को सपनों का सौदागर करार देते हुए कहा कि वे चुनाव के छह महीने पहले से सपने बेच कर रहे हैं। इतने सपने बेचे के लोग दिन में भी सपने देखने लगे कि जब मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो उनके सारे सपने पूरे हो जाएगें। सपने तो पूरे हुए नहीं और मोदी अभी भी सपने बेचने में लगे हैं, जबकि जनता की अपेक्षा पहले किए गए सपनों को पूरा करने की है।

बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल लालकृष्ण आडवाणी ने पिछले दिनों एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि लोगों का भरोसा क़ायम रखना एक राजनेता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है। जो नैतिकता की मांग है, वही राजधर्म है। कांग्रेस ने आडवाणी के इस बयान को आधार बना कर प्रधानमंत्री मोदी पर चुटकी ली। आज़ाद ने कहा कि आडवाणी जैसे संकेत नहीं देते साफ साफ कह देते हैं लेकिन जो ना समझे उसका क्या। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मन की बात करने लगे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री सबको दरकिनार कर रहे हैं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के इस्तीफे की ज़िद पर अड़ी कांग्रेस ने मोदी के मौन पर भी सवाल उठाया। आरोप लगाया कि बड़े मोदी और छोटे मोदी में मिलीभगत है इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही। ललित मोदी को लाने के लिए एनडीए सरकार ने 13 महीनों में क्या किया है ये भी नहीं बताया जा रहा। विदेश मंत्रालय इस बाबत आरटीआई का जवाब देने से इनकार कर चुका है। ये सब सोची समझी साज़िश के तहत हो रहा है।

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'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने यूपीए सरकार पर आयुष को दरकिनार रखने का आरोप लगाया तो कांग्रेस ने पुरानी सालाना रिपोर्ट पेश कर इसका भी जवाब दिया। दावा किया कि आयुष को यूपीए सरकार ने ज़्यादा अहमियत दी। मोदी सरकार ने तो उल्टा इसके फंड में कटौती कर दी है।