प्रवासी भारतीय सम्मेलन में पीओके के प्रवासियों को बुलाने पर अभी फैसला नहीं : सुषमा स्वराज

प्रवासी भारतीय सम्मेलन में पीओके के प्रवासियों को बुलाने पर अभी फैसला नहीं : सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज.

खास बातें

  • वर्ष 2003 से आयोजित किए जा रहे हैं प्रवासी भारतीय सम्मेलन
  • सम्मेलन में अभी तक पीओके के प्रवासियों को नहीं बुलाया गया
  • सम्मेलन अगले वर्ष 7 से 9 जनवरी तक बेंगलुरु में
नई दिल्ली:

अगले साल होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के प्रवासियों को बुलाए जाने की संभावना पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि अभी इस फैसले का इंतजार कीजिए.

पीओके भारत का हिस्सा
यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि भारत पीओके को अपना हिस्सा मानता रहा है. हालांकि 2003 से शुरू हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन में अभी तक पीओके के प्रवासियों को बुलाने जैसा कोई कदम नहीं उठाया गया. लेकिन अब जबकि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पीओके को लेकर काफी मुखर नीति पर चलने का संकेत दे रहे हैं, तो ऐसे में विदेश मंत्रालय की तरफ निगाह है.

विदेश मंत्री के बयान को साफ करने और क्या पीओके के प्रवासियों को बुलाने को लेकर कोई चर्चा की जा रही है? इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कुछ विदेश मंत्रालय से कहा है वह सार्वजनिक है. विदेश मंत्रालय किस रूप में और कब इस पर फैसला लेगा इसके लिए आपको इंतजार करना पड़ेगा.

कश्मीर में जारी हिंसा पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्रालय से कहा था कि वह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बसे पीओके के लोगों से संपर्क करें ताकि वहां हो रहे अत्याचारों को दुनिया के सामने ज्यादा प्रभावी ढंग से लाया जा सके.

सुषमा स्वराज से सवाल किया गया कि क्या दूसरे देशों में बसे पीओके के लोगों को भी प्रवासी भारतीय दिवस पर बुलाया जाएगा? इस पर सुषमा स्वराज ने कहा कि अभी इस फैसले का इंतजार कीजिए.

देश के आर्थिक विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को प्रोत्साहन
14वें प्रवासी प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन बेंगलुरु में अगले साल 7 से 9 जनवरी तक होगा. इसमें दुनिया के अलग-अलग देशों से करीब 3000 प्रवासी भारतीयों के भाग लेने की उम्मीद है. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान इस सम्मेलन की शुरुआत हुई थी. इसका मकसद देश के आर्थिक विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को बढ़ावा देने की है. देश में निवेश में उन्हें दिक्कत न आए इस बाबत उनकी समस्याएं सुनकर उनके समाधान की कोशिश की है. खाड़ी समेत कई अन्य देशों में समस्याएं झेल रहे प्रवासी भारतीयों की मदद पर भी इस बार की कॉन्फ्रेंस में फोकस होगा.

प्रवासी भारतीय सम्मेलन के एजेंडे में क्या पीओके को लेकर सरकार की नीति का एजेंडा फिट बैठेगा और क्या उसकी झलक भी देखने को मिलेगी, यह जानने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा.
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