यह ख़बर 14 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

महंगाई में वृद्धि अनुमान से कम ही है : प्रणब

खास बातें

  • मुखर्जी ने दिसम्बर माह के दौरान वार्षिक मुद्रास्फीति की दर में पिछले महीने की तुलना में लगभग एक फीसदी की बढ़त को अनुमान से कम बताया।
नई दिल्ली:

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दिसम्बर माह के दौरान वार्षिक मुद्रास्फीति की दर में पिछले महीने की तुलना में लगभग एक फीसदी की बढ़त को अनुमान से कम बताया है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित वार्षिक मुद्रास्फीति की दर दिसम्बर माह के दौरान बढ़कर 8.43 फीसदी हो गई, जो इससे पूर्व के माह में 7.48 फीसदी थी। मुखर्जी ने यहां पत्रकारों से कहा, "मासिक थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट आ रही थी, दिसम्बर में जिस तरह का साप्ताहित उतार-चढ़ाव आया उसे देखते हुए सूचकांक के और ऊपर पहुंचने की आशंका थी।" सरकार ने गुरुवार को महंगाई पर काबू पाने के लिए कई कदमों की घोषणा की थी, जिसमें आयात और निर्यात को नियमित करने वाले कदम भी शामिल हैं। सरकार ने प्याज की सरकारी एजेंसी के माध्यम से बिक्री करने, सरकारी कम्पनियों को दालों की खरीदारी करने और जमाखोरी के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री कार्यालय से देर शाम जारी बयान में वर्तमान महंगाई के लिए सब्जी और फलों की कीमतों में हुई वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया गया। सरकार ने कहा कि इससे निपटना इसलिए अधिक कठिन हुआ, क्योंकि सरकार के पास इसका भंडार नहीं था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसम्बर माह में प्राथमिक वस्तुओं के सूचकांक में 3.5 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि ईंधन सूचकांक में एक फीसदी और विनिर्मित वस्तुओं के सूचकांक में 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई। आशा के मुताबिक खाद्य वस्तुओं के सूचकांक में दिसम्बर के दौरान 3.7 फीसदी की वृद्धि हुई। मुखर्जी ने कहा, "मुद्रास्फीति की दर नवंबर के आंकड़ों से ज्यादा है लेकिन अगस्त के बाद से मासिक आंकड़ों में गिरावट का रुख जारी है, जो बना हुआ है।" उन्होंने कहा कि देश की ऊर्जा जरूरतों का 75 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है। ऐसे में महंगाई दर पर केवल घरेलू अर्थव्यवस्था और मौद्रिक नीति से जुड़े कदमों से रोक नहीं लगाई जा सकती। पिछले कुछ सप्ताहों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अपनाई गई कड़ी नीति के कारण कीमतों में वृद्धि पर थोड़ी अंकुश लगी थी। खाद्य वस्तुओं में जारी हालिया महंगाई को देखते हुए आरबीआई द्वारा एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। विश्लेषकों का हालांकि मानना है कि मौद्रिक समीक्षा महंगाई दर को कम कर पाने में बहुत सफल नहीं हो पाएगी, क्योंकि हालिया महंगाई की वजह आपूर्ति की कमी है।


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