यह ख़बर 04 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कोई दूसरा मेरे फर्जी हस्ताक्षर की शिकायत कैसे कर सकता है : प्रणब

खास बातें

  • भाजपा के आईएसआई से प्रणब के इस्तीफे पर लगाए आरोपों पर सफाई देते हुए प्रणब मुखर्जी ने पूछा, ‘कोई दूसरा इस तरह की शिकायत कैसे कर सकता है कि आपने अपना फर्जी हस्ताक्षर किया है?’
तिरूवनंतपुरम:

संप्रग की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने भाजपा के उस आरोप से खारिज कर दिया है कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान से दिया गया उनका त्यागपत्र ‘फर्जी’ है।

केरल के विधायकों और सांसदों का समर्थन मांगने के लिए तिरुवनंतपुरम पहुंचे मुखर्जी ने कहा, ‘‘इन सभी मुद्दों के बारे में मेरे अधिकृत प्रतिनिधियों ने पीठासीन अधिकारी को अवगत कराया था। पीठासीन अधिकारी ने इसका जवाब दिया है।’’

भाजपा के आरोप के बारे में पूछे जाने पर प्रणब ने पटलवार करते हुए कहा, ‘‘मेरा फर्जी हस्ताक्षर किसने किया? मुझे नहीं पता कि उन लोगों ने क्या कहा है। मेरे खुद का फर्जी हस्ताक्षर कौन कर सकता है? हमने पीठासीन अधिकारी के कार्यालय में इस मुद्दे पर बहस की थी और पीठासीन अधिकारी ने इसका जवाब दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोई दूसरा इस तरह की शिकायत कैसे कर सकता है कि आपने अपना फर्जी हस्ताक्षर किया है?’’ प्रणब संप्रग की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं, जबकि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा भाजपा के समर्थन से उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

प्रणब पर किए गए ताजा हमले में कल भाजपा ने कहा कि सांख्यिकी संस्थान से प्रणब की ओर से दिया गया त्यागपत्र ‘फर्जी’ है और पार्टी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।

भाजपा का आरोप है कि प्रणब का नामांकन सुरक्षित रखने के लिए आखिरी मौके पर यह त्यागपत्र तैयार किया गया। पार्टी ने प्रणब और भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष एमजीके मेनन से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा था।

यह पूछे जाने पर संपग्र उनकी उम्मीदवारी के लिए तृणमूल कांग्रेस का समर्थन सुनिश्चित नहीं कर पाया है, तो प्रणब ने कहा, ‘‘हर राजनीतिक दल मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर फैसला करता है। मैं उम्मीद करता हूं वह (ममता बनर्जी) उचित समय पर फैसला करेंगी और फैसला मेरे पक्ष में होगा।’’

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का समर्थन मिलने पर प्रणब ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव उन नीतिगत मामलों पर नहीं लड़े जाते जिन पर आम चुनाव में बहस होती है।

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उन्होंने कहा, ‘‘हर राजनीतिक पार्टी राजनीतिक वास्तविकता पर विचार करती है और राजनीतिक हालात का आकलन करती है। इसके बाद वह कोई फैसला करती है।’’