यूपी में राहुल या प्रियंका सीएम चेहरा? प्रशांत किशोर के आइडिया पर कांग्रेस कितनी संजीदा?

यूपी में राहुल या प्रियंका सीएम चेहरा? प्रशांत किशोर के आइडिया पर कांग्रेस कितनी संजीदा?

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल तस्वीर)

नई दिल्ली:

क्या यूपी में कांग्रेस राहुल गांधी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएगी? प्रशांत किशोर के हवाले से मीडिया में ये चर्चा गर्म है। राहुल जहां चुप हैं, वहीं कई कांग्रेसी नेता इसे बहुत हल्के में ले रहे हैं।

राहुल गांधी का जवाब
कैमरे के सामने पत्रकारों के सवालों से राहुल गांधी तो बच निकले, लेकिन संसद के गलियारे में कैमरे के बिना जब एनडीटीवी ने उनसे सवाल किया कि यूपी का चेहरा आप बनेंगे या प्रियंका गांधी? तो राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, मुझे क्या पता? आप लोग चलाते हो नाम, आप लोग जानो।

अपनी सलाह को लेकर बेहद संजीदा हैं प्रशांत किशोर
राहुल ने सवाल को बेशक टाल दिया हो। लेकिन सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के रणनीतिकार के रूप में अपनी जगह बनाने की कोशिश में जुटे प्रशांत किशोर यूपी के लिए राहुल या प्रियंका को आगे करने की अपनी सलाह को लेकर बेहद संजीदा हैं। गांधी परिवार को इस पर फैसला लेना है।

कांग्रेस नेताओं की राय
हालांकि कांग्रेस के नेताओं को ये सलाह रास नहीं आ रही। कांग्रेस के महासचिव और यूपी प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि राहुल और प्रियंका दोनों राष्ट्रीय नेता हैं। वे यूपी में प्रचार करेंगे, पर यूपी तक सीमित नहीं रहेंगे। चूंकि मामला सीधे गांधी परिवार से जुड़ा है इसलिए कांग्रेस आधिकारिक तौर पर अभी मुठ्ठी खोलना नहीं चाहती। जयराम रमेश ने पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रशांत किशोर ने क्या कहा है, मैं नहीं जानता। राहुल गांधी सांसद हैं, पार्टी उपाध्यक्ष हैं। वे 2016 में कांग्रेस अध्यक्ष होंगे, ऐसी हमें उम्मीद है।

विपक्षी पार्टियों ने कसा तंज
राहुल गांधी की राष्ट्रीय नेता की छवि के विपरीत इस तरह की सलाह सामने आने पर दूसरी राजनीति पार्टियां चुटकी ले रही हैं। सपा महासचिव रामगोपाल यादव कहते हैं, वे तो पीएम कैंडिडेट थे, अब सीएम कैंडिडेट बनने जा रहे हैं? मायावती ने कहा, जनता कानून-व्यवस्था से त्रस्त है। जनता सिर्फ चाहती है- मायावती (मुख्यमंत्री के रूप में)। मोदी सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'आगे आगे देखिए होता है क्या'।

2007 और 2012 के यूपी चुनाव में राहुल गांधी ने जमकर प्रचार किया था, लेकिन कोई करिश्मा नहीं दिखा सके। सवाल है कि चेहरा देने के बाद भी 2017 में पार्टी कामयाबी हासिल नहीं कर पाई, तो कहीं गांधी परिवार का तिलस्म ही खत्म न हो जाए।

प्रशांत किशोर चाहे जो भी गुणा-भाग लगाकर एक आउट ऑफ द बॉक्स आइडिया लेकर आए हों। लेकिन कई कांग्रेसी नेता निजी बातचीत में मजाकिया लहजे में कहते हैं कि वे राहुल का राजनीतिक क़द बढ़ाने आए हैं या बस यूपी तक समेट देने। ये अगर गंभीर सलाह है, तो भी उन्हें बात हजम नहीं हो रही है।


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