राहुल गांधी के सुधार मां सोनिया के मशहूर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की तर्ज पर

राहुल गांधी के सुधार मां सोनिया के मशहूर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की तर्ज पर

नई दिल्ली:

कांग्रेस के पुनर्गठन के लिए उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पुराना तरीका अपनाया है। अब 10 नेताओं का समूह पार्टी की नीतियों के जनकल्याण सुधार और जनजातीय अधिकारों जैसे प्रमुख मुद्दे तय करेंगे। कांग्रेस सूत्रों ने माना कि सलाहकार मंडल को बीजेपी के संसदीय बोर्ड से प्रेरित माना जा सकता है लेकिन सही तुलना राष्ट्रीय सलाहकार परिषद से हो सकती है जिसकी अध्यक्षता राहुल गांधी की मां और पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने की थी जब कांग्रेस सत्ता में थी। समूह पर अक्सर ये आरोप लगते रहते थे कि वह एक सुपर कैबिनेट की तरह काम करती थी जिसकी अनुशंसाएं बिना किसी आपत्ति या संकोच के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा तुरंत मान ली जाती थीं।

समूह राहुल के  'सामूहिक नेतृत्व' के विचार का प्रतिनिधित्व करेगा
राहुल ने 10 वरिष्ठ सदस्यों के दल के बारे में परिकल्पना की है जिसमें पी चिदंबरम और गुलामनबी आजाद जैसे नेता शामिल होंगे। यह दल पार्टी में उनके 'सामूहिक नेतृत्व' के विचार का प्रतिनिधित्व करेगा जहां अब तक परंपरागत तौर पर वंशवाद की राजनीति हावी रही है। नई टीम का ऐलान शनिवार को होने वाले  54 सीटों के लिए होने वाले राज्यसभा चुनावों के बाद किया जाएगा।  

पार्टी वापसी करती दिखाई नहीं दे रही
जबसे पार्टी ने लोकसभा चुनाव में देशभर से मात्र 44 सीटें हासिल की है, उसके बाद राज्यों के चुनाव में एक के बाद एक  हार से पार्टी वापसी करती दिखाई नहीं दे रही है। अब पार्टी के पास बड़े राज्य के नाम पर मात्र कर्नाटक ही बचा है।  पिछले महीने ही असम और केरल में पार्टी की हार के मद्देनजर दिग्विजय सिंह और शशि थरूर जैसे नेताओं ने पार्टी में व्यापक सुधार की जरूरत बताई थी। यहां तक की गांधी परिवार के नेतृत्व पर भी हार के लिए अप्रत्यक्ष आरोप लगा था।कई नेताओं का मानना है कि 45 साल के राहुल गांधी को अब पार्टी अध्यक्ष की पद स्वीकार कर लेना चाहिए। इससे पार्टी के पुनर्गठन में युवा नेतृत्व की पहल होगी।

एनडीटीवी ने इस समूह पर काम करने वाले 'के राजू' से संपर्क किया लेकिन उन्होंने संगठन की नई रूपरेखा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि के राजू, जो टीम राहुल की जनरल सेक्रेटरी बन चुके है, ने कहा की कांग्रेस में पहले से ही नीति विभाग काम कर रहा है। एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने कहा कि जब आप सरकार में होते हैं तो आपके पास मंत्री होते हैं लेकिन सरकार न होने पर आपको ऐसे निकायों की जरूरत पड़ती ही है।  

 


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