कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को दिल्‍ली पुलिस ने फिर हिरासत में लिया, बाद में छोड़ा गया

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को दिल्‍ली पुलिस ने फिर हिरासत में लिया, बाद में छोड़ा गया

खास बातें

  • पुलिस राहुल गांधी को पीसीआर वैन में बैठाकर ले गई.
  • पुलिस का कहना है कि ऐसा राहुल गांधी की सुरक्षा के लिए किया गया.
  • बुधवार को भी राहुल गांधी को पुलिस ने दो बार हिरासत में लिया था.
नई दिल्‍ली:

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को दिल्‍ली पुलिस ने गुरुवार को जंतर-मंतर से फिर हिरासत में ले लिया. हालांकि बाद में उन्‍हें छोड़ दिया गया. जंतर-मंतर पर बड़ी संख्‍या में कांग्रेस कार्यकर्ता पूर्व सैनिक द्वारा की गई आत्‍महत्‍या की घटना को लेकर प्रदर्शन कर रोष जताने के लिए इकट्ठा हुए थे. पुलिस राहुल को पीसीआर वैन में बैठाकर ले गई थी. 45 वर्षीय कांग्रेस उपाध्‍यक्ष को पहले संसद मार्ग थाने ले जाया गया, उसके बाद तुगलक रोड पुलिस स्‍टेशन.

पुलिस राहुल गांधी को गाड़ी में बैठाकर जंतर-मंतर से ले गई और बाद में उनसे कहा कि वह जाने के लिए स्‍वतंत्र हैं, लेकिन उन्‍होंने जीप से उतरने से मना कर दिया और पुलिसवालों को उन्‍हें हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने की चुनौती भी दी.

पुलिस का कहना है कि ऐसा कांग्रेस उपाध्‍यक्ष की सुरक्षा के लिए किया गया, क्‍योंकि भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी और बेकाबू हो रही थी.

राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा कि 'मैं यहां आधे घंटे से बैठा हूं. मुझे कहा गया कि ऐसा धारा 144 के लागू होने की वजह से किया गया'. साथ ही उन्‍होंने कहा कि 'उनका विरोध पुलिस द्वारा पूर्व सैनिक के परिवार के साथ किए गए सलूक के खिलाफ है'.

उधर, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि हम सब कह सकते हैं कि यह कोई लोकतंत्र नहीं है. वहीं कांग्रेस लीडर अजय माकन ने कहा कि पता नहीं दिल्‍ली पुलिस क्‍या चाहती है.

इससे पूर्व राहुल गांधी खुदकुशी करने वाले पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल के गांव बामला पहुंचे थे और उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए. राहुल गांधी के साथ कांग्रेस नेता कमलनाथ और कुमारी शैलजा भी रहीं.

बुधवार को भी वन रैंक, वन पेंशन के मुद्दे पर कथित तौर पर आत्महत्या करने वाले एक पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल के परिवार के सदस्यों से मिलने की कोशिश के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दिल्ली पुलिस ने दो बार हिरासत में लिया था. राहुल को ज्योतिरादित्य सिंधिया और अजय माकन सहित कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ पुलिस वैन में बैठा दिया गया और थाने ले जाया गया. हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.

इसके बाद राहुल ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा- दुख की बात यह है कि इस परिवार को पूरा दिन बंद कर रखा गया. मैंने उस परिवार से मिलने की कोशिश की. दुख की इस घड़ी में उनसे दो मिनट मिलकर बताना चाहता था, कि मैं उनके साथ हूं. मैंने वहां पुलिसवालों से कहा कि उनके परिवार से मिलने दीजिए... इस परिवार के साथ जो हुआ, वह गलत हुआ. कम से कम सरकार को इस पूर्व सैनिक के परिवार से माफी मांगनी चाहिए.

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी ग्रेवाल के परिजनों से मिलने की कोशिश के दौरान हिरासत में ले लिया गया. पुलिस उन्हें लेडी हार्डिंग अस्पताल से अपने साथ आरके पुरम थाने लेकर गई. करीब पांच घंटे के बाद देर रात उन्हें रिहा कर दिया गया.

कांग्रेस उपाध्यक्ष को अस्पताल परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. जब उन्होंने बार-बार प्रवेश का प्रयास किया, तो भारी संख्या में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, जिस पर राहुल की तीखी प्रतिक्रिया आई. राहुल ने संवाददाताओं से कहा कि क्या लोकतंत्र इस तरह से काम करता है.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एमके मीणा ने कहा कि वे स्वास्थ्य सेवाओं में अवरोध पैदा नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा, 'हम दिल्ली के अस्पतालों में किसी तरह की राजनीति नहीं होने देंगे. लोकतंत्र का मतलब स्वास्थ्य सेवाओं को बाधा पहुंचाना नहीं है. राहुल गांधी को मंदिर मार्ग थाने में हिरासत में रखा गया.' हालांकि बाद में राहुल को रिहा कर दिया गया था. इससे पहले सिसोदिया ने भी अस्पताल परिसर में प्रवेश किया और मृतक के परिजनों से मिलने की कोशिश की. उन्हें भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

परिजनों के मुताबिक, मंगलवार दोपहर रामकिशन अपने साथियों के साथ रक्षामंत्री से मिलने जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही रामकिशन ने ज़हर खा लिया. परिजनों के मुताबिक, जो ज्ञापन उनके पिता अपनी मांगों को लेकर रक्षामंत्री को देने जा रहे थे उसी पर उन्होंने सुसाइड नोट लिखकर जहर खा लिया. रामकिशन ने मरने से पहले एक नोट भी लिखा, जिसमे उन्होंने लिखा :- मैं मेरे देश के लिए, मेरी मातृभूमि के लिए और मेरे देश के वीर जवानों के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने जा रहा हूं. (इनपुट एजेंसियों से भी)


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