इंदिरा के सहयोगी रहे फोतेदार बोले - राहुल में नेतृत्व क्षमता की कमी, कभी भी मिल सकती है चुनौती

इंदिरा के सहयोगी रहे फोतेदार बोले - राहुल में नेतृत्व क्षमता की कमी, कभी भी मिल सकती है चुनौती

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सहयोगी रहे एमएल फोतेदार ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर खुलेआम सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि यह सिर्फ समय की बात है कि पार्टी के अंदर इसे कब चुनौती मिलती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एमएल फोतेदार ने अपनी किताब 'द चिनार लीव्स' में लिखा है कि राहुल अपने पिता की ही तरह राजनीति नहीं करना चाहते और उनकी 'सीमाएं' हैं और उन्हें उनके पिता की तरह इस काम के लिए तैयार नहीं किया गया है जैसा कि उनके पिता को खुद इंदिरा गांधी ने तैयार किया था।

'राहुल में है कुछ अड़ियलपन'
पूर्व केंद्रीय मंत्री फोतेदार ने सोनिया की आलोचना करते हुए कहा कि उनमें कई गुण होने के बावजूद राजनीतिक प्रबंधन की कमी है और राहुल को आगे बढ़ाने की उनकी इच्छा से पार्टी के अंदर समस्याएं खड़ी हुई हैं। राहुल के कांग्रेस की सत्ता संभालने के समय को लेकर चल रही चर्चा के बीच फोतेदार ने कहा है कि राहुल में 'कुछ अड़ियलपन' है और नेता बनने की उनकी प्रेरणा 'बहुत मजबूत' नहीं है।

'देश के लोगों को राहुल का नेतृत्व स्वीकार्य नहीं'
फोतेदार ने कहा, 'राहुल गांधी का नेतृत्व इस देश के लोगों को स्वीकार्य नहीं है और सोनिया गांधी का बेहतरीन समय पीछे छूट गया है। पार्टी को नेतृत्व देने वाला कोई नहीं है। इसने सीखना छोड़ दिया है।' उन्होंने कहा, 'संसद के दोनों सदनों में विपक्षी नेताओं की नियुक्ति में इसने गलत चुनाव किए हैं। विधानसभा चुनावों में चुनौतियों से निपटने में इसने गलत विकल्प चुने। वास्तव में पार्टी ने कुछ भी सही नहीं किया है या नहीं कर रही है। यह दुख है कि नेहरू इंदिरा की विरासत इतने निचले स्तर पर पहुंच गई है।' (पढ़ें- इंदिरा 'जानती थीं' कि प्रियंका ही बनेंगी उनकी उत्तराधिकारी)

फोतेदार ने लिखा है, 'राहुल में कुछ हठधर्मिता है और नेता बनने की उनकी इच्छा मजबूत नहीं है। सोनिया जी के आसपास के लोग गुपचुप तरीके से नहीं चाहते कि वह सफल हों, क्योंकि उनका मानना है कि अगर राहुल नेता के रूप में उभरते हैं तो वे लोग अप्रासंगिक हो जाएंगे।' उन्होंने कहा है, 'सोनिया के सामने हालत यह है कि एक तरफ तो वह अपने आसपास के लोगों के बगैर काम नहीं कर सकतीं, वहीं वह राजनीति में अपने बेटे को सफल बनाने की इच्छा रखती हैं।'

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'सोनिया में राजनीतिक प्रबंधन का गुण नहीं'
फोतेदार का कहना है कि चारों तरफ काफी संख्या में निहित स्वार्थ वाले लोग हैं और विचारों की लड़ाई में कांग्रेस के पतन के लिए सोनिया जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'सोनिया में कई गुण हैं, लेकिन उनमें राजनीतिक प्रबंधन का गुण नहीं है। समय के साथ उन्होंने जो हासिल किया उन्हें वह इसलिए बरकरार नहीं रख सकीं कि या तो उनमें कौशल की कमी है या जिन लोगों से वह सलाह लेती हैं, उनमें इसकी कमी है। परिणाम यह हुआ कि पार्टी में बिखराव शुरू हो गया।'