‘केदारनाथ की पद-यात्रा के बाद, गोविंदगढ़ की रेल-यात्रा पर राहुल गांधी’

ट्रेन में राहुल गाँधी

खास बातें

  • कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज दोपहर ट्रेन के ज़रिए नई दिल्ली से पंजाब के खन्ना और मंडी गोविंदगढ़ के लिए लिए रवाना हो गए हैं।


कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज दोपहर ट्रेन के ज़रिए नई दिल्ली से पंजाब के खन्ना और मंडी गोविंदगढ़ के लिए लिए रवाना हो गए हैं।

गोविंदगढ़ को पंजाब का ‘अनाज की टोकरी’ के रुप में जाना जाता है। गोविंदगढ़ की अनाज मंडी पूरे प्रदेश के किसानों का गढ़ है जहां वो अपने अनाज बेचा करते हैं, लेकिन इस साल के ख़राब मौसम के कारण उन्हें अपने अनाज की सही कीमत नहीं मिल पा रही है।        

चेहरे पर हल्की दाढ़ी के साथ जींस और टी-शर्ट पहने ट्रेन की खिड़की वाली सीट पर बैठे राहुल गांधी ने मीडिया को बताया कि, ‘मुझे बताया गया है कि किसानों की हालत बेहद ख़राब है और मैं ये खुद वहां जाकर अपनी आंखों से देखना चाहता हूं।‘
 
राहुल ने ये भी कहा कि मोदी सरकार की किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण बिल के ख़िलाफ़ उनकी लड़ाई धीरे-धीरे बड़ी होगी।  उन्होंने कहा, ‘ये मुख़्य मुद्दा है...किसानों से जबरन उनकी ज़मीन छीनी जा रही है, मैं इसका जी-तोड़ विरोध करुंगा।‘       

राहुल गांधी के साथ कई कांग्रेसी नेता उनके साथ मंडी-गोविंदगढ़ जा रहे हैं।
 
राज्य के जालंधर और अमृतसर ज़िलों में सरकार से गुस्साए किसान प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे हुए हैं। कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर भी प्रदर्शन किया जा रहा है। पंजाब में कई जगहों से किसानों के आत्महत्या करने की ख़बरें भी लगातार आ रहीं हैं।  

मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में राहुल गांधी इसी हफ्त़े देशभर में पदयात्रा पर भी जा सकते हैं।  
56 दिनों की छुट्टी से लौटने के बाद राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे पर संसद और सड़क दोनों ही जगह पर बड़े ही आक्रामक तरीके से केंद्र पर चौतरफ़ा हमला बोला है।    

राहुल के लौटने के बाद दिल्ली में आयोजित उनकी किसान रैली में देशभर से तक़रीबन 70 हज़ार किसान शामिल हुए थे जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि वे किसी भी तरह से भूमि अधिग्रहण बिल को पास होने नहीं देंगे। 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

कांग्रेस पार्टी 2014 के आम चुनावों और दिल्ली चुनावों में मिली करारी हार के बाद दोबारा खड़ी होने की कोशिश कर रही है। ऐसे में राहुल का किसान मुद्दों को उठाने के पीछे की मंशा देश के उन 67 प्रतिशत आबादी को अपने तरफ़ करना है जो मोदी सरकारी की भूमि अधिग्रहण बिल से ख़ासे नाराज़ हैं।