यह ख़बर 07 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रेड्डी बंधुओं की फर्मों के खनन पट्टे हो सकते हैं रद्द

खास बातें

  • न्यायालय द्वारा नियुक्त केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति ने कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं की फर्मों की खदानों के पट्टों को रद्द करने की सिफारिश की है।
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति ने कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं की फर्मों की आंध्र प्रदेश स्थित खदानों के पट्टों को रद्द करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि रेड्डी बंधुओं की ओबुलापुरम खनन कंपनी ने खनन कार्य में पर्यावरण संबंधी नियमों की खुलेआम अनदेखी की है। समिति ने यह कहते हुए आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकारियों की भी आलोचना की कि उनके साथ साठ-गांठ के बिना नियमों का इस प्रकार उल्लंघन संभव नहीं था। उच्चाधिकार पेनल ने उच्चतम न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। पेनल ने 140 एकड़ क्षेत्र में फैली चार खदानों के पट्टों को रद्द करने की सिफारिश की है। समिति ने यह सिफारिश बेल्लारी आरक्षित वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के आधार पर की है। रेड्डी बंधुओं में जी जर्नादन रेड्डी और जी करूणाकर रेड्डी शामिल हैं जो कर्नाटक के मंत्री हैं।


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