पाक पर हमला हो न हो की बहस के बीच फिर याद किया गया कारगिल युद्ध

पाक पर हमला हो न हो की बहस के बीच फिर याद किया गया कारगिल युद्ध

जम्मू कश्मीर में हुए उरी हमले के लिए भारत ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है और सरकार ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश करने का फैसला किया है. इस हमले में 18 जवान शहीद हुए जिसे लेकर भारत की जनता में आक्रोश है और कई सार्वजनिक चर्चाओं में पड़ोसी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की बात भी कही जा रही है.

हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो भारत को कोई भी फैसला जल्दबाज़ी में नहीं लेना चाहिए और युद्ध से जुड़े हर तरह के गुण-दोष को ठीक से आंक लेना चाहिए. युद्ध से जुड़ी इन्हीं चर्चाओं में 1999 में लड़ा गया करगिल युद्ध भी दोबारा याद किया जा रहा है जो कि भारत-पाकिस्तान सेना के बीच लद्दाख़ के कारगिल में लड़ा गया था. पढ़िए उसी से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां -

1999 की गर्मियों में कारगिल में पाकिस्तानी सेना के जवानों ने ठंड के दिनों में भारतीय सेना द्वारा कुछ समय के लिए छोड़ी गई पोस्ट पर चुपके से कब्जा कर लिया था. लाइन ऑफ कंट्रोल पर हुए समझौते का उल्लंघन करके ऐसा किया गया. बता दें कि कारगिल पर ठंड बढ़ जाने के दौरान सेना के जवान उस पोस्ट को खाली कर देते हैं.

हालांकि 1971 मे भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संपूर्ण युद्ध से अलग कारगिल की लड़ाई में सीमा का टकराव ज्यादा था. पाकिस्तान सेना ने भारत के तरफ की नियंत्रण रेखा को पार करके करगिल सेक्टर में घुसपैठ कर ली थी जिसका सफाया करने के लिए भारत ने 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया था.

यहां गौर करने वाली बात यह है कि यह युद्ध उस शिमला संधि पर हस्ताक्षर करने के बावजूद हुआ जिसके तहत कहा गया था कि दोनों ही देशों के बीच सीमा पर किसी तरह का टकराव और घुसपैठ नहीं होगी. हालांकि शुरूआत में पाकिस्तान ऐसी किसी भी घुसपैठ से इंकार करता रहा और बयान दिया गया कि यह इंडियन मुजाहिद्दीन का काम है. लेकिन भारत की ओर से आक्रामक रवैये के बाद पाकिस्तान सेना को भी सीधे तौर पर भारत का सामना करना पड़ा.

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना के एक समूह ने समुद्र तल से 17,400 फीट से ज्यादा की उंचाई पर स्थित पाकिस्तानी चौकी को लेजर नियंत्रित बमों के जरिये ध्वस्त कर दिया था. टाइगर हिल पर पाकिस्तान द्वारा बनाई यह चौकी सामरिक रूप से काफी अहम थी, क्योंकि इससे पाकिस्तानी सैनिक श्रीनगर और लेह को जोड़ने वाली नेशनल हाइवे 1ए और द्रास को सीधा निशाना बना सकते थे.

अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारत की ओर से की गई भारी गोलाबारी के बाद आखिरकार पाकिस्तानी सेना को भारतीय पोस्ट खाली करनी पड़ी. इस पूरी कार्यवाही में पाकिस्तान का दावा है कि उनकी ओर से 3000 से ज्यादा लोगों की जान गई. साथ ही जम्मू कश्मीर के लद्दाक़ से भारत को दूर करने की कोशिश भी नाकाम रही. इधर इस पूरे ऑपरेशन में भारत की जीत हुई लेकिन 500 से ज्यादा जवान शहीद हो गए.

करीब दो महीने तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के करीब 550 जवान शहीद हुए थे। इस लड़ाई की शुरुआत 8 मई 1999 को हुई थी  और 14 जुलाई को इसका अंत हुआ लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई  ने 26 जुलाई को करगिल विजय का ऐलान किया.

बताया जाता है कि कारगिल उन चुनिंदा युद्ध में से एक है जिसे पहाड़ी इलाकों पर लड़ा गिया है. इस तरह की जंग अक्सर खराब मौसम और उबड़ खाबड़ इलाके की वजह से खतरनाक साबित होती हैं. साथ ही यह उन चुनिंदा जंग में से एक है जो दो परमाणु देशों के बीच लड़ी गई थी. साथ ही संभवत: यह पहली लड़ाई थी जिसके बारे में मीडिया द्वारा बड़े स्तर पर बात की गई थी.

कारगिल में जीत के 16 साल पूरे होने पर भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कारगिल में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि 'हम दोबारा कारगिल नहीं होने देंगे.' इससे पहले भी सेना यह दावा करती रही है कि कारगिल पोस्ट पर और अधिक चौकसी और तकनीकी तौर पर निगरानी बढ़ा दी गई है जिससे 1999 जैसे हालात का दोबारा होना संभव नहीं है.


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